अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/अतिरिक्त लाभ-कर

अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश
रामनारायण यादवेंदु

पृष्ठ १७ से – १८ तक

 

अतिरिक्त लाभ-कर--युद्ध आदि अवसरो पर पूँजीपति अनुचित मुनाफे से अपनी पूँजी बढ़ा लेते हैं। चीज़ो को महँगे मूल्य में बेचते हैं। युद्ध के लिए सामग्री भी वे ही तैयार करते हैं तथा जनता के लिए ग्रावश्यक वस्तुग्रो का निर्माण भी वे ही लोग करते हैं और अपने माल को मनमाने दामो पर बेचते हैं। युद्ध के समय राज्य को अपनी रक्षा के लिए विशेष तैयारी करनी पड़ती है। अतः राज्य-कोप में वृद्धि के लिए जिन करो की व्यवस्था-सरकार-करती है, उनमे से एक अतिरिक्त लाभ-कर (Excess Profit Tax) भी हैं। यह कर पँजीपतियो पर लगाया जाता है । उन्हे व्यापार में

जो लाभ होता है, उसका एक निर्द्वारित अश, कर के रूप मे, सरकार को देना पडता है। सन् १९३९ मे जब युद्ध आरम्भ हुआ, तब सरकार ने एक क़ानून बनाकर यह टैक्स भारत मे भी लागू कर दिया।