विषयसूची:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf
पृष्ठ १११९-११५८ लार्ड आकलैण्ड—सिन्धु नदी की सरवे का परिणाम-बर्न्स की मध्य एशिया की यात्रा-दोस्त मोहम्मद की माँग-अफ़ग़ानिस्तान के साथ युद्ध की तय्यारी-पार्लिमेण्ट के काग़ज़ों में जालसाज़ी—अपहरण नीति-अफ़ग़ानिस्तान पर चढ़ाई-सिन्ध के अमीरों के साथ नई सन्धि-सिन्धी प्रजा पर लूट और अत्याचार-काबुल पर क़ब्जा़-अफ़ग़ानिस्तान की परिस्थिति-गुप्त हत्याओं का प्रबन्ध--अंगरेज़ों की घृणित पाशविक वृत्तियाँ—अफ़ग़ान चरित्र-शाहशुजा का वध-बर्न्स की हत्या-मैकनाटन की हत्या-सोलह हजार की सेना का अवशेष-लार्ड एलेनब्रु–एलेनब्रु के विचार-झूठे एलान-मुसलमानों का शत्रु-सोमनाथ का फाटक और युद्ध का अन्त-अफ़ग़ान युद्ध का ख़ामियाज़ा-दोबारा चढ़ाई-युद्ध का अन्त| पृष्ठ ११५९-११८९ सिन्ध की राजनैतिक स्थिति-कम्पनी की कोठी और ठट्ठे का पतन-कम्पनी को व्यापारिक सुविधाएं-सिन्ध में कम्पनी का एलची-सन् १८०९ की सन्धि-सन् १८२० की सन्धि—बर्न्स की सिन्धु यात्रा-अमीरों से ख़िराज़ की माँग-मीर रुस्तम ख़ाँ-रुस्तम ख़ाँ के साथ नई सन्धि-मीर अली मुराद-सिन्ध पर क़ब्ज़ा करने के मुख्य कारण-साज़िश पक्की करना-रुस्तमख़ाँ पर झूठे इलज़ाम-हैदराबाद के अमीर —मियानी का संग्राम-बलूचियों की वीरता—अंगरेज़ों की विजय का रहस्य-जनान ख़ानों पर हमला-सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़-अमीरों का शोक जनक अन्त —अमीरों का चरित्र—अमीरों का शासन प्रबन्ध-खेती और आयपाशी-धार्मिक सद्भावना-सिन्ध विजय पर जनरल नेपियर के उद्गार।पृष्ठ ११९०-१२३७ सींधिया-ग्वालियर दरबार का सुशासन-अनुचित हस्तक्षेप-दादा ख़ासजीवाला-अंगरेज़ दूत मामा साहब-रेज़ीडेण्ट स्लीमैन-ख़ासजीवाला पर झूठा इलज़ाम और उसकी गिरफ़्तारी-एलेनब्रु का वास्तविक इरादा-ग्वालियर पर हमला-नई सन्धि-कैथल पर क़ब्ज़ा-रणजीत सिंह की मृत्यु और पंजाब में अराजकता-एलेनब्रु की योजनाएं-असफल प्रयत्न-निज़ाम पर दाँत—जेतपुर की रियासत-अवध से क़र्ज़-दिल्ली सम्राट की नज़रें बन्द-एलेनब्रु की वापसी।पृष्ठ १२३८-१२५७ सिख युद्ध की तय्यारी-तीन देशद्रोही-बहाने की तलाश-राई का पहाढ़-सन्धि का लगातार उल्लंघन-अहसान फ़रामोशी-सिख सेना को भड़काने के प्रयत्न-युद्ध का एलान-मुदकी का संग्राम-फ़ीरोज़ शहर का संग्राम-अलीवाल की लड़ाई-शुबरांव की लड़ाई-सिख सैनिकों की असीम वीरता—शामसिंह अटारी वाला लाहौर दरबार के साथ सन्धि-हार्डिज को इनाम हार्टीि के शासन काल की अन्य घटने हार्डि की धर्मनिष्ठा । पृष्ठ १२२८-९ इकतालीसवाँ अध्याय दूसरा सिख युद्ध लार्ड डलहौजी की निश्चित नीति--पंजाब में आसन्तोप मुलता घटना—दीवान मूलराज-यूलराज के शासन में हस्तक्षेप सूलरा बस्तगी फ्रीतदास काहनसिंह मुलतान का संग्राम-महारानी । द्र की गिरफ़्तारी मुसलमानों को भड़काने के प्रयत्र-—मूलराज के संग्राम मुलतान का मोहासरा दूसरे सिख युद्ध का प्रारम्भ की वीरता—चिलियानबाला का संग्राम-गुजरात के संग्राम ' की स्वाधीनता का आन्त राष्ट्रीयता का अभावु- मेजर ईखन्सबेर विचार । पृष्ठ १२१-१ बयालीसवाँ अध्याय दूसरा बरमा युद्ध कप्तान शेपर्ड का मुक़दमा-कप्तान सुई का मुक़दमा-डलहौजी का हस्तक्षेप युद्ध के लिये अंगरेज़ी जहाजों की रवानगी—घरमा दरबार फ शान्ति प्रियता चरमी जहाज़ की गिरफ़्तारी गोलाबारी-नई माँगे बरमा महाराजा का नम्न पत्र विध्वंस और फ़रले नाम-पग पर कम्पनी का क़ब्ज़ा । पृष्ठ १३०९-१३२२ पैंतालीसवाँ अध्याय डलहोज़ी की ःपिपासा लैप्स की नीति—सतारा के राजा से वादा--—सतारा का अपहरण- नागपुर का अपहरण--झाँसी का अपहरण-—सम्बलपुर का अपहरण वेतपुर का तक्षर का अपहरण का अपहरण---। अपहरण—करनाटक मुसलिम रियासतेंद्थरार का अपहरण-अवध का अपहरण--वाजिद अली गह पर झूठे कलंक-वाजिद अली का चरित्र-—तालुझेदारों के साथ ड्स इनाम कमीशन । टट १३२३-१३१ चालीसवाँ अध्याय सन् १८५७ की क्रान्ति से पहले लाई निः-लासी से बेलोर के ग़दर तक---राजघरानों के प्रति लहौज़ी का बरताव -साधारण प्रजा के साथ अंगरेज़ों का बरताय- हारनपुर का अंगरेपी अस्पताल--अंगरेज़ों के अनुचित व्यवहार को कुछ मेसालें दिल्ली सम्राट और अंगरेज़शाह आलम औौर माधोजी सोंधिया सम्राट अकबर शाह-राजा राममोहनराय-सम्राट बहादुर शाह और मंगरेअवध के साथ प्रत्याचार -डलहौजी की अपहरण नीति-नाना ाहब के साथ अन्याय ईसाई मत प्रचार की आकांक्षा-धार्मिक भावों र आघात—पंजाब को ईसाई बनाने की कोशिश —फ़ौज में ईसाई सत चार--भारतीय धर्मों की श्रेष्ठता सैनिकों के प्रति सामान्य व्यवहार- ( ६ ) शान्ति की योजना का सूत्रपात-आज़ी मुल्ला और रंगो बापूजी- गैरि बाडी औौर भारतीय क्रान्ति-बिटूर में क्रान्ति केन्द गुप्त संगठन और तैयारी—अवध और क्रान्ति-क्रांन्ति में धन की सहायताक्रान्ति के शून्य केन्द-नाश्चर्य जनक गुप्त संगठन मौलवी अहमदशाह--क्रान्ति के चिन्ह कमल और चपाती रविवार ३१ मईसन् १८५७-पलटनों के बीच पत्र व्यवहार । पृष्ठ १३२१३हे । पैंतालीसवाँ अध्याय चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ दमदम की पा-बी के कारण सिपाहियों के साथ जबरदस्ती —बैरकपुर से क्रान्ति का श्री गणेश मंगल पाँडे-मेरठ की घटना मेरठ में क्रान्ति का पहला दिन-क्रान्तिकारियों का दिल्ली में प्रवेश दिल्ली की स्वाधीनता—अलीगढ़ की स्वाधीनता-मैनपुरी की स्वाधीनता-इटाचे की स्वाधीनता नसीराबाद में क्रान्ति-—बरेली, शाहजहांपुर, मुरादाबाद और बदायूँ की स्वाधीनता-प्लान बहादुरख़ाँ का एलान लाज़मगढ़ और गोरखपुर फी स्वाधीनता -जनरल नील—यनारस में क्रान्तिकारियों .फी असफलता-जौनपुर की स्वाधीनता-इलाहाबाद शहर पर क्रान्तिकारियों का क़ब्ज़ा -मौलवी लियाक़त अली । पृष्ठ १३३९-१४२७)। छयालीसवाँ अध्याय। प्रतिकार का प्रारम्भ जनरल नील की दमन योजना-कई तरह की फाँसी नर संहार और ( ७ ) । अग्निकाण्ड-इलाहाबाद निवासियों से बला—छोटे छोटे बालकों को फाँसी-किश्तियों पर गोलाबारी—फाँसी के तरी—अंगरेजों के साथ असहयोग कानपुर और नाना साह-—कानपुर की स्वाधीनसा-नाना का शासन प्रय—सतीचौरा घाट का हत्या काण्डपेशवा नाना साहब का दरबार-फाँसी और रानी लक्ष्मीबाई--लक्ष्मीबाई का चरित्र काँसी की स्वाधीनता अवध में क्रान्ति की तैयारी-लारेन्स की क़िलेबन्दी—नैपाल से मदद की प्रार्थना—क्रान्ति का प्रारम्भ--सीतापुर की स्वाधीनता रैनाबाद की स्वाधीनता-—अवध की स्वाधीनता मौलवी अहमदशाह की गिरप्तारी-वैज़ाबाद की स्वाधीनता सुलतान पुर की स्वाधीनता लखनऊ की स्थिति बेगम हजरत महल का शासन । पृष्ठ १४२८-१४ ६ सैंतालीसवाँ अध्याय दिल्ली पजाब और बीच की घटनाएँ दिल्ली का महत्व यदि पक्षाब क्रान्ति का साथ देत-सिखों को भट्टकानासिल राजाओं का विश्वासघातःकम्पनी ही के राज में पक्षाबी साहूकारों का हित सरहद में कम्पनी के धनीत मुला—फीरोज़पुर में क्रान्तिः पेशावर की देशी पलटनें-फाँसी औौर तोप के मुँह से उड़ाया जाना होती सरदान की सेना का नाश-—बीभरस इश्य —दस नम्बर पल्टन की सिन्धु जल में समाधि-दूर यातनाएँ-जालन्धर, फ़िलौर और लुधियाना में क्रान्ति-सिख राजाओं का देशद्रोह-अंगरेजी सेना के अनसुने अत्याचार बुन्देले की सराय का भीपण संग्राम दिल्ली के भीतर 'अदम्य उत्साह: -गोहत्या पर कड़ा दण्डे-—सम्राट बहादुरशाह के एलान__ प्लासी की शताब्दी__ अंगरेजो की सहायता के लिये नई सेना—सेनापत्ति 'बख्त खा__उसका शासन प्रबन्ध__अंगरेजी सेना की पराजय-अंगरेगजी सेना में नैराशय भांरतीय नरेशों की अनिश्चितता-इन्दौर और मध्यभारत की स्थिति‘नागरे की स्वाधीनता—इलाहाबाद अंगरेनी सेना का केन्द अंगरेजी सेना की कानपुर यात्रा-फतहपुर की अग्नि समाधि-थीबी राह का हस्या काण्डा-माना की ज़िम्मेदारी- कानपुर में ग्रैंगरेजी सेना के श्रत्याचार-पक्षाब का ब्लैकहोल-अजनाले की घटना-रावी तट का हत्या - फास्ट-अखागाले की काल कोठरी-अजनाले का कुंआ-चाया जगतपक्ष का बयान-दिल्ली में अंगरेजी सेना क्रान्ति कारियों में अनुशासन की कमी देशी नरेशों के नाम बहादुरशाह का पत्र--परंपनी को नई मदद नीमच की क्रान्तिकारी सेना--१४ सितम्बर कंा संग्राम-—दिल्ली के अन्दर कम्पनी की सेना का प्रवेश---मरगली—जामे मसजिद की लढ़ाई सम्राट बहादुरशाह की गिरफ़्तारी-शहज़ादों की हत्या दिल्ली के बाशिन्दों का क़ले यामवीरान और सुनसान दिल्ली—प्राइज़ एजेन्सी-मन्दिरों और मसजिदों की बेइज्जती-दिल्ली नए सिरे से नाबाद-दिल्ली के राजकुल का ग्रन्स—सम्राट का निर्वास औौर थम्स । टष्ट ४६७-५५४३ अड़तालीसवां अध्याय . . अवध और बिहार बेगम हजरत महल रेजिडेन्सी के अंगरेज़—हैवलाक की लखनऊ हैं यात्रा-नांना के मनसू-अवधे निवासियों के हौसले—हैवलाक की ( है ! -- घबराहट-नई अंगरेज़ी सेना-आलम वाड्रा का संग्राम—हैवलाक रेज़िडेन्सी में कैद हेड की कानपुर यात्रा-छालम बाग के लिये नई अंगरेगी सेना--सिकन्दर बा का संग्राम-नौ दिन का लगातार संग्राम संग्रामलखनऊ। रक्त का समुद्र तात्या टोपेकानपुर पर तात्या का तज़ाम-कानपुर पर अंगरेज़ी सेना का फिर से कब्जा—यवध औौर रुहेलखण्ड में दमन-इटावे ' के २५ शहीद-फ़रैनाबाद का पतन-लखनऊ विजय के लिये विशाल अंगरेनी सैम्पटल देश द्रोही नेपाली सेना— लखनऊ शहर की परिस्थिति मौलवी अहमदशाह क्रान्तिकारियों में यमुशासन की कमी-शहर की मोरचे बन्दी-तीसरी बार लखनऊ में रक्त की नदियाँ-शहादत गंज का संग्राम क़रले ग्राम-लखनऊ की बेगमें —बिहार में क्राति का प्रायोजन -राजा बुंवरसिंह-आरा का मोहासरा-आमबाग का संग्राम बीवी गंज का संग्राम किर्लमैन की पराजय--डेम्स की पराजब–लार्ड सा की । पराजय - वरसिंह का युद्ध कौशल-लगर्ल्ड की पराजय-डगलस की पराजयकुंवरसिंह गोली से घाय—कुंवरसिंह का जगदीशपुर में प्रवेश लीलूण्ड की पराजय कुंवरसिंह की यु-कुंवरसिंह का चरिन राजा अमरसिंह-जगदीशपुर पर सात चोर से हमला -नौनदी का संग्राम अमर सिंह का अन्त जगदीश पुर की बीर खियाँ-अवध की स्थिति बारी की लड़ाई —जनरल होप की स्ट्—शाहजहाँपुर का संग्राम अहमदशाह के साथ दग़ा-अहमद शाह का चरित्र 1 पृष्ट १४४-१३६३ . ( १० ) उनचासवाँ अध्याय लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे , लमीयाई का सेनापतिब-काँसी में आाठ दिन का लगातार संग्राम-लघमीबाई के प्रयत्ल-रानी का फाँसी स्याग—याँदा का नवाय । करपी का राव---क्रान्तिकारियों में 'व्यवस्था--काली का संग्राम ‘लेयर पर क्रान्तिकारियों का क़ब्ज़ा-ताया और लक्ष्मीबाई की योग्यता- लक्ष्मीयाई फी व्यूह रचना ग्वालियर का संग्राम-लपमीबाई की वीरता—लमीयाई का बलिदान--लक्ष्मीबाई का चरित्र-दक्षिण में क्रान्ति-कोरापुर—बेलगाम- सतारा-बम्बई--नागपुर--जबलपुर- हैदराबाद-शोरापुर का चालक राजाभास्कर राव बाबासाहब आंबध में नए सिरे से क्रान्ति की लाग-राजा चेनीमाधव कंपनी के शासन का। अन्त-मलका विक्टोरिया का एलान—बेगम हजरत महल का एलान निर्वासित क्रान्तिकारी आयध का पतन—तात्या टोपे के श्रन्तिम प्रयत-- कोटरा का संग्राम--ताया का नर्मदा पार करना तात्या नागपुर में सास्या का अलौकिक ऊंच-नवाब याँदा का प्रारम समर्पण—मेजर राक की पराजय सास्या देवास में मानसिंह का विश्वासघात-का तात्या । बलिदान-राब साहब औौर फीरोज़शाह का अन्त । ष्ट १६००-१६४है पचासव अध्याय द सन् ५७ के स्वाधीनता संग्राम पर एक दृष्टि क्रान्ति की आसफलता के मुख्य कारण-—समय से पूर्व क्रान्ति का ( ११ ) प्रारम्भ सिखों और गोरखों का अंगरेजों से मिल जाना—योग्य और प्रभावशाली नेताओं का प्रभाव देशी नरेशों की उदासीनता-इक्खिन में उदासीनता दोनों ओोर के प्रत्याचारों की तुलना--क्रान्तिकारियों पर ने मिथ्या इलज़ाम क्रान्ति के नेताओं की उदारता-यदि क्रान्ति सफल हो गई होती उस समय की राष्ट्रीय त्रुटियाँ—यदि क्रान्ति न हुई होती सन् ५७ की क्रान्ति का अन्य देशों पर असर हमारे भावी यादों । पृष्ठ १ ६५०-१ ६६६ इक्यावनवाँ अध्याय सन् १८५७ के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्त मलका विक्टोरिया का एलान—देशी रियासतों को कायम रखना भारत म अंगरेजी । उपनिवेश--राष्ट्रीय भावों का नाश् --हिन्दोस्तान की उपजाऊ शक्ति को उन्नति देना भारतीय सेना का संगठनभेदनीति-—भारत से इंगलिस्तान को ख़िरा ख़राजयन्तिम शब्द । पृष्ठ १६६७-१७०८ |