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'''अर्द्ध-तत्सम''' उन संस्कृत शब्दों को कहते हैं जो प्राकृत-भाषा बोलनेवालों के उच्चारण से बिगड़ते बिगड़ते कुछ और ही रूप के हो गये हैं, जैसे, बच्छ, अग्या, मुँह, बंस, इत्यादि । |
<noinclude><pagequality level="1" user="कन्हाई प्रसाद चौरसिया" />{{rh||(३०)|}}</noinclude>'''अर्द्ध-तत्सम''' उन संस्कृत शब्दों को कहते हैं जो प्राकृत-भाषा बोलनेवालों के उच्चारण से बिगड़ते बिगड़ते कुछ और ही रूप के हो गये हैं, जैसे, बच्छ, अग्या, मुँह, बंस, इत्यादि । |
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बहुत से शब्द तीनों रूपों में मिलते हैं; परंतु कई शब्दों के सब |
बहुत से शब्द तीनों रूपों में मिलते हैं; परंतु कई शब्दों के सब |
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आग |
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