"पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/७८": अवतरणों में अंतर
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२ हैहयवंश। |
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हैहयवंशी, जिनका दूसरा नाम कलचुरी मिलता है, चन्द्रवंशी क्षत्रिय |
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ईष्य-बंश । |
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उनके लेखों और ताजपत्रों में, उनकी उत्पत्ति इस प्रकार लिखी है'मगवान विष्णु नाभिकमलसे ब्रह्मा पैदा हुआ । उससे अरिं, और भानके मेनसे 'चन्द उत्पन्न हुआ । चन्द्रके पुन पुपने सूर्यको पुनी |
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३ हैहय-वंश । |
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बला) से विवाह किया, जिससे पुरूरवाने जन्म लिया । पुरूरवाके शिमें १०० से अधिक अश्वमेध यज्ञ करनेवाला, भरत हुआ, जिसका शिज कार्तवीर्य, माहिष्मती नगरी ( नर्मदा तटपर) का राजा था। पह, अपने समयमें सबसे प्रतापी राजा हुआ । इसी कार्तवीर्यसे सहय लिचुरी) वंश चलो। _ पिछले समयमें, हेहयोका राज्य, प्वेदी देश, गुजरातके कुछ माग और दक्षिण मी रहा था। |
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कलचुरी राजा कर्णदेवने, चन्देल राजा कीर्तिवमा जेजाती (युदेलखण्ड) का राज्य और उसका प्रतिद्ध कलिंजरका किला छीन लिया था तबसे इनका सिताच 'कलिजराधिपति'हुआ । इनका दुसरा खिताब निकलिंगाधिपति' भी मिलता है । जनरल कनिंगहामका अनुमान है कि पनक या अमरावती, अन्ध या वरशोर और कलिम या राजमहेन्द्री, ये तीनों राज्य मिले निकलिम कहाता था। उन्होंने यह भी लिखा है कि विलिंग, सिलंगानाका पर्याय शब्द है। |
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नफ या अमरावती, अन्ध या वर और कलिंग या जिमहेन्द्रो, थे तीनों राज्य मिले निफलिम कहता था। उन्होंने यह भी लिद है कि इकिलिंग, सिंगानाका पर्याय शब्द है। |
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