"पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/५४": अवतरणों में अंतर
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भारतके प्राचीन राजमा- |
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चटन। |
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नीमूगोठ टालेमी ( Ptoleray)ने अपनी पुस्तकमें चटनका उल्लेख किया है। यह पुस्तक उसने ई स १३० के करीब लिखी थी में यह भी लिग है कि इस समय पैठन, आन्धवशी राजा बसिष्ठीपुत्र श्रीपुलमाचीकी राजधानी थी। इससे प्रकट होता है कि प्दष्टन और उक्त पुलमावी समकालीन थे। |
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चानके और इसके उत्तराधिकारियोंके सिक्कोंको देखनेसे अनुमान होता है कि चानने अपना नया राजवश कायम किया था। परन्तु सम्मुनत यद यश मी महपानका निकटका सम्वन्धी ही था। |
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_ वि. स.10.-१०७) के मध्य ) |
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नासिककी चौगुफासे यासिपुर पुलमाधी समयका एक लेख मिला है। यह पुलमाडीके राज्यके १८वे या १९ वर्षका है। इसमें गौतमीपुत्र श्रीवातकार्णिको क्षहरत-चशका ना करनेवाला भीर शास्तथा स्म-वशको उन्नत करनेवाला लिखा है। इससे अनुमान होता है कि शायद बटनको गौतमीपुरने नहपानसे छीने हुए राज्यका सूबेदार नियत किया होगा और जाल में यह स्वाक्षन होमया होगा। . |
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चनका अधिकार मालबा, गुजरात, कानियादाह आर राजपूतानेके कुछ हिस्से पर था। सीने उनको अपनी राजधानी बनाया, जो अन्त तक इसके वंशजोंकी भी राजधानी रही। |
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राज्यको फिर कायम किया। |
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इसके और इसके वाजोंक सिक्कोंपर अपने बापने नामों और अश -धियोंके सिवा पिताके नाम और उपाधियाँ भी लिखी होती हैं। इससे |
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नीमूगोठ टालेमी ( Ptoleray)ने अपनी पुस्तकमें चटनका |
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उल्लेख किया है। यह पुस्तक उसने ई स १३० के करीब लिखी |
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थी में यह भी लिग है कि इस समय पैठन, आन्धवशी राजा |
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बसिष्ठीपुत्र श्रीपुलमाचीकी राजधानी दी। इससे प्रकट होता है कि प्दष्टन |
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और उक्त पुलमावी समकालीन थे। |
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चानके और इसके उत्तराधिकारियोंके सिक्कोंको देखनेसे अनुमान |
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होता है कि चानने अपना नया राजवश कायम किया था। परन्तु |
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सम्मुनत यद यश मी महपानका निकटका सम्वन्धी ही था। |
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नासिककी चौगुफासे यासिपुर पुलमाधी समयका एक लेख |
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मिला है। यह पुलमाडीके राज्यके १८वे या १९ वर्षका है। इसमें |
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गौतमीपुत्र श्रीवातकार्णिको क्षहरत-चशका ना करनेवाला भीर शास्तथा |
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स्म-वशको उन्नत करनेवाला लिया है। इससे अनुमान होता है कि |
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शायद बटनको गौतमीपुरने नहपानसे छीने हुए राज्यका सूबेदार नियत |
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किया होगा और जाल में यह स्वाक्षन होमया होगा। . |
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चनका अधिकार मालबा, गुजरात, कानियादाह आर राजपूतानेके |
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कुछ हिस्से पर था। सीने उनको अपनी राजधानी बनाया, जो अन्त |
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तक इसके दशजोंकी मी राजधानी रही। |
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इसके और इसके वाजोंक सिकोंपर अपने बापने नामों और अश |
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-धियोंके सिवा पिताके नाम शोर उपाधियों भी लिखी हाती हैं। इससे |
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RIP IEr Ray A, BE TO Tipt |