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नहपान। [ .स. १-४६(१. ११५-१२४%
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__वि.स. १५६-१८11 यह सम्भवत' भूमकका उत्तराधिकारी था । यद्यपि अबतक इस विषयका कोई लिखित प्रमाण नहीं मिला है तथापि भूमकके और इसके सिकोका मिलान करनेसे प्रतीत होता है कि यह भूमकका उत्तराधिकारी ही था।

इसकी कन्याका नाम दक्षमिया था । यह शरुवाशी दीनिकफे पुन उपवदात (पमदत्तकी ) की पत्नी थीं । इसी दक्षमित्रासें उपददातके सिन्न देवयक नामक एक पुत्र हुआ था। हम यह लिख चुके है कि उपनदातके ४ लेख मिले हैं। इनमेंसे ३ नासिकसे और १ कार्लसे मिला है। इसकी घी दक्षमित्राका रोस भी नासिकसे और इसके पुत्रका कारसे ही मिला है । पूर्वाक लेखा से इपबदातके केवल एकही लेखमें शक-गुचत् ४२ दिया हुआ है। परन्तु इसीम पीछेसे शक सवा ४१ जीर भी लिख दिय गये है। उक्त लेगमें उपवासको राजा क्षहरात क्षत्रप नहपानका जीमाता हिस्सा है। परन्तु जुम्लरकी बान्धगुफासे जो शफ सवत ४८ ( ई० स० १२४=वि. स. १८१)का नहपानके मन्त्री अयम ( अर्यगन् ) का लेख मिला है, उसमें नइपानक नामके पहले राना महाक्षत्रप स्वामीकी जपापियाँ लगी है। इससे प्रकट होता है कि उससमग्र अर्थात शक सबात ४६ में यह नहपान स्वतन्त्र राजा हो चुका था।
भारतके प्राचीन राजवंश
इसका राज्य गुजरात, काठियावाड, कच्छ, मालवा और नासमत के दक्षिणके प्रदेशोंपर फेला हुमा था 1 इस बावड़ी पुष्टि इराके जामाता उपपदात ( मपमदत्त ) के लेखसे मी होती है।
नहुन । [ • • ४१-४६ ( म ११{-- -
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| वि-स. १५६-१८}}] यह सम्भवत’ भुमेकका उत्तराधैिका था । यद्यपि अबतक इस विषया कोई लिरिक्त प्रमाण नहीं मिला है नया भूमकके और इसके सिवका मिलान करनेसे प्रतीत होता है कि यह भूगकका उत्तराधिकारी ही था । | इसकी कन्याको नाम इक्षमिव था । यह शफवशी बीनिक पुन उपवात ( अपमदसकी ) की पत्नी थी। इसी दक्षमित्राने उपददातकें सिन्न देगक नामक एक पुत्र हुआ। १ । हम पहले लिख चुके हैं कि उपनदात के ४ लेख मिले हैं। इनमें से ३ नासिक और १ कार्ल मिला है। इसकी स्त्री क्षमित्राका लेख भी नासैकसे और इसके पुत्री कार्ड से हीं मिला है। पूदा लेखमॅसे बात केवल एकही सेसमें शक-युवत् ५५ दिया हुआ है । परन्तु इसमें पास शक संवत् ११
और 4 भी लिख दिय गये है। उक्त हेमें उपवासको रजा सहरात क्षत्रप नहपानका जमाता लिखा है। परन्तु जुम्ररी थान्सफासे जो शक संवत् ४६ ( ई० स० १२५=वे ः १८१ ) का नहपानके मन्त्री अग्रम ( भगन् ) का लेप मिला है, उसमें नहपानक नामके पहले राना महाक्षत्रप स्वामीकी उपाधियाँ हैं । इससे प्रकट होता है के उसमय–अर्थात् शक संवत् १६ में-- नपान स्वतन्त्र राज्ञी हो चुका । | इसका राज्य गुजरात, झापाबाङकच्छ, माला र नासिक के दक्षिण प्रदेशपर फैला हुआ था। इस बात पुष्टि इराके जामता उपपदाते ( ममदत्त ) ३ ॐवसे मी होती है।
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