"पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/४२": अवतरणों में अंतर
छो bot: Removing unnecessary category |
No edit summary |
||
पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा): | पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा): | ||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
दक्षमिना-यह नहपानकी कन्या और अपर्युक्त उपनदातकी हरी यी। इसका १ लेख मिला है। |
|||
________________ |
|||
⚫ | |||
⚫ | |||
भारतकें प्राचीन राजधश |
|||
⚫ | |||
तमिना—यह नहपानकी केन्या और उपर्युक्त उपनदात स्त्री यी । इसका १ लेख मिला है। |
|||
⚫ | |||
⚫ | |||
रुद्रसेन प्रथम---यह रुदसिंह प्रथमका पुत्र था । इसके समयके २ लेख मिले हैं । इनमें पहला शक संबत् १२२ बैशाख कृष्णा पञ्चमीका और दूसरा शक संवत् १२५ ( या १२६) भादपद कृष्णा पंचमीका है। |
|||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
मूमर केवल तब सिमें मिले हैं। इन पर एक तरफ नीकी तरफ फलकवाला तार, बज और सरोटी अक्षरोम दिरा स राधा पसरी तरफ सिंह, धर्म-चक्र और बाही अक्षरोंका देख होता है। (1) Ep Iod VoL VIL, B1, (a) Ep Iod 1 YII' p 36 (1) Do Dr Hof A. 600, Yol. V. p 169. ( Ep Ind, Yo VIII, 20, () Ind Art, Vol 3,101 |
|||
⚫ | |||
JRA 2,18001651.(ONIRABIBOOP453 १८)Id. AL, FoL ZII, PIE, |
|||
मुद्धसैन प्रथम---यह रूमिह प्रथमका पुन्न चा। इस समयके २ लेंस मिलें हैं । इनमें पहली शर्क सनत् १२३ वैशात या पञ्चमी' और दूसरा झाक सनत् १२५ ( पा १९६ ) भाद्रपद कृष्णा परामका है'। |
|||
⚫ | |||
मूमके केवल तबके सिझे मिरै हैं। इन पर एक तरफ नीकी तरफ फलकबाड़ा तीर, मन और सरो अक्षम लिग घ राधा पसरा तरफ सिंह, धर्म-चक्र और बाह्नी अक्षरेका लेब होता है । |
|||
(1) Ep Iod VoL VIL, B1, (a) Ep Iod 1 YII' p 36 (1) Do Dr Hof A. 600, Yol. V. p 169. ( Ep Ind, Yo VIII, 20, () Ind Art, Vol 3,101 १६) A ,150 है। 851,(१) If A B, IBp4, 2 १४)Jz3. Ant., Fal. II, P 5 |