"पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/४२": अवतरणों में अंतर

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दक्षमिना-यह नहपानकी कन्या और अपर्युक्त उपनदातकी हरी यी। इसका १ लेख मिला है।
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मित्र देवणक-(मिजदय)-यह उपवातका पुन था । इसका भी एक लेख मिला है।

अयम (अर्यमन) यह वत्समोठी बाह्मण और राजा महाक्षतप स्वामी नहपानका मन्त्री था । इसका शक-संवत् ४६ का एक. लेख मिला है।
भारतकें प्राचीन राजधश
रुद्रदामा प्रथम---यह जयदामाका पुत्र या । इसके समयफा एक लेख शक-सवत् ७२ मार्गशीर्ष-कृष्ण प्रतिपदाका मिला है,
तमिना—यह नहपानकी केन्या और उपर्युक्त उपनदात स्त्री यी । इसका १ लेख मिला है।
यद्रसिंह प्रथम-यह रुद्रदामा प्रथमका पुत्र था। इसके समयके दो लेख मिले हैं। इनमें से एक शक संवत् १०३ वैशाख शुक्ला पञ्चमीका और दूसरा चैत्र शुक्ला पञ्चमीका है। इसका सवत् टूट गया है।
मित्र देवणक-(त्रिय)—यह उपनदातका पुत्र था । इसका भी एक लेख मिठा है' ।।
रुद्रसेन प्रथम---यह रुदसिंह प्रथमका पुत्र था । इसके समयके २ लेख मिले हैं । इनमें पहला शक संबत् १२२ बैशाख कृष्णा पञ्चमीका और दूसरा शक संवत् १२५ ( या १२६) भादपद कृष्णा पंचमीका है।
अयम ( अर्यमन )--यह वत्सगोत्र ब्राह्मण और राजा महाक्षत्रप स्वामी नहपाना मन्त्री था । इसका शक संवत् ५६ का एक. लेर मिला है ।।
सिगे । भूमफ और नहपान कररत वशी या चपन और उसके वान शवपवशी कहलाते थे।
रुद्रामा प्रथम-यह जर्बदामका पुन या । इसके समयफा एक लैलू शक-सवत् ७९ मार्गशीर्थ-कृष्णा प्रतिपदाका मिला है।
मूमर केवल तब सिमें मिले हैं। इन पर एक तरफ नीकी तरफ फलकवाला तार, बज और सरोटी अक्षरोम दिरा स राधा पसरी तरफ सिंह, धर्म-चक्र और बाही अक्षरोंका देख होता है। (1) Ep Iod VoL VIL, B1, (a) Ep Iod 1 YII' p 36 (1) Do Dr Hof A. 600, Yol. V. p 169. ( Ep Ind, Yo VIII, 20, () Ind Art, Vol 3,101
यद्गासिंह प्रथम—यह मुद्दामा प्रथम पुन या । इसके समय के दौ खेल मिले हैं। इनमें से एक शक संवत् ११३ वैशाय झुक्का पञ्चमीका और दूसरा चैत्र शुक्का पञ्चका है। इसका सचत् दूट गया है ।।
JRA 2,18001651.(ONIRABIBOOP453 १८)Id. AL, FoL ZII, PIE,
मुद्धसैन प्रथम---यह रूमिह प्रथमका पुन्न चा। इस समयके २ लेंस मिलें हैं । इनमें पहली शर्क सनत् १२३ वैशात या पञ्चमी' और दूसरा झाक सनत् १२५ ( पा १९६ ) भाद्रपद कृष्णा परामका है'।
सिफ । भूमफ और नहपान ररत वश 8: चन' और इसके चा झरपवशी कहलाते थे ।
मूमके केवल तबके सिझे मिरै हैं। इन पर एक तरफ नीकी तरफ फलकबाड़ा तीर, मन और सरो अक्षम लिग घ राधा पसरा तरफ सिंह, धर्म-चक्र और बाह्नी अक्षरेका लेब होता है ।
(1) Ep Iod VoL VIL, B1, (a) Ep Iod 1 YII' p 36 (1) Do Dr Hof A. 600, Yol. V. p 169. ( Ep Ind, Yo VIII, 20, () Ind Art, Vol 3,101 १६) A ,150 है। 851,(१) If A B, IBp4, 2 १४)Jz3. Ant., Fal. II, P 5