"पृष्ठ:हिंदी साहित्य का इतिहास-रामचंद्र शुक्ल.pdf/१०६": अवतरणों में अंतर
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{{larger|'''रैदास या रविदास'''}}––रामानंदजी के बारह शिष्यों में रैदास भी माने जाते हैं जो जाति के चमार थे। इन्होंने कई पदों में अपने को चमार कहा भी है, जैसे–– |
{{larger|'''रैदास या रविदास'''}}––रामानंदजी के बारह शिष्यों में रैदास भी माने जाते हैं जो जाति के चमार थे। इन्होंने कई पदों में अपने को चमार कहा भी है, जैसे–– |
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:<small>(१) कह रैदास खलास चमारा।</small> |
:<small>(१) कह रैदास खलास चमारा।</small> |