"पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/५६०": अवतरणों में अंतर
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<poem><center>जय सतजुग-थापन-करन, नासन म्लेच्छ-अचार। |
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कठिन धार तरवार कर, कृष्ण कल्कि अवतार॥</ |
कठिन धार तरवार कर, कृष्ण कल्कि अवतार॥</center></poem> |
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{{c|{{larger|'''पहिला अंक'''}}}} |
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{{c|स्थान-बीथी}} |
{{c|स्थान--बीथी}} |
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{{c|( |
{{c|(एक योगी गाता है)}} |
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{{c|('''लावनी''')}} |
{{c|('''लावनी''')}} |
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<poem><center>रोअहु सब मिलिकै आवहु भारत भाई। |
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हा हा! भारतदुर्दशा न देखी |
हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥ ध्रुव॥ |
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सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल |
सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो। |
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सबके पहिले जेहि सभ्य बिधाता कीनो॥ |
सबके पहिले जेहि सभ्य बिधाता कीनो॥ |
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सबके पहिले जो रूप-रंग रस-भीनो। |
सबके पहिले जो रूप-रंग रस-भीनो। |
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सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो॥ |
सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो॥ |
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अब सबके पीछे सोई परत लखाई। |
अब सबके पीछे सोई परत लखाई। |
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हा हा ! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥</ |
हा हा ! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥</center></poem> |