"पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६९४": अवतरणों में अंतर

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यह बिचारी चमड़े की जीभ कभी भी जान सकती है ?
यह बिचारी चमड़े की जीभ कभी भी जान सकती है ?


{{C|(प्रेमाश्रु आँखो में भर आते हैं)}}
<Br>(प्रेमाश्रु आँखो में भर आते हैं)


<Br>सत्यवान--चलो रहने दो शिष्टाचार की बातें बहुत हो चुकीं। (ऊपर देख कर) ओहो! हम लोगों की बातों में इतना
<Br>सत्यवान--चलो रहने दो शिष्टाचार की बातें बहुत हो चुकीं। (ऊपर देख कर) ओहो! हम लोगों की बातों में इतना