"पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६९२": अवतरणों में अंतर

→‎परीक्षण हुआ नहीं: 'सतीप्रताप बनदेवी-प्यारे ! चलो हम लोग इस कुंज की आड़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
 
पन्ने की स्थितिपन्ने की स्थिति
-
अशोधित
+
शोधित
पन्ने का उपरी पाठ (noinclude):पन्ने का उपरी पाठ (noinclude):
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{rh||सतीप्रताप|५९७}}
पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा):पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा):
पंक्ति १: पंक्ति १:
बनदेवी--प्यारे ! चलो हम लोग इस कुंज की आड़ में से इन दोनों के पवित्र प्रेम-पुरान को सुनकर अपना जीवन चरितार्थ करै।
सतीप्रताप

बनदेवी-प्यारे ! चलो हम लोग इस कुंज की आड़ में से इन
{{C|(दोनों कुंज की ओट में छिपते हैं)}}
दोनों के पवित्र प्रेम-पुरान को सुनकर अपना जीवन

चरितार्थ करै।
{{C|(पटाक्षेप)}}
( दोनों कुंज की प्रोट में छिपते हैं)

(पटाक्षेप)

{{C|———————}}