"पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६८०": अवतरणों में अंतर
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देखो मेरी नई जोगिनियाँ आई हो--जोगी पिय मन भाई हो। |
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खुले केस गोरे मुख सोहत जोहत दूग सुखदाई हो॥ |
खुले केस गोरे मुख सोहत जोहत दूग सुखदाई हो॥ |
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नव छाती गाती कसि बाँधी कर जप माल सुहाई हो। |
नव छाती गाती कसि बाँधी कर जप माल सुहाई हो। |