"पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६८०": अवतरणों में अंतर

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{{poem begin}}<Poem>
{{Gap}}सखीत्रय--
{{Gap}}सखीत्रय--
{{poem begin}}<Poem>देखो मेरी नई जोगिनियाँ आई हो--जोगी पिय मन भाई हो।
देखो मेरी नई जोगिनियाँ आई हो--जोगी पिय मन भाई हो।
खुले केस गोरे मुख सोहत जोहत दूग सुखदाई हो॥
खुले केस गोरे मुख सोहत जोहत दूग सुखदाई हो॥
नव छाती गाती कसि बाँधी कर जप माल सुहाई हो।
नव छाती गाती कसि बाँधी कर जप माल सुहाई हो।