"पृष्ठ:भ्रमरगीत-सार.djvu/२११": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा):पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा):
पंक्ति ७: पंक्ति ७:
{{C|{{larger|'''राग मलार'''}}}}
{{C|{{larger|'''राग मलार'''}}}}
<Poem>{{block center|{{gap|3em}}स्याम को यहै परेखो आवै<Ref>(३) यहै परेखो आवै=यही बात मन में सोचती हूँ।</ref>।
<Poem>{{block center|{{gap|3em}}स्याम को यहै परेखो आवै<Ref>(३) यहै परेखो आवै=यही बात मन में सोचती हूँ।</ref>।
कत वह प्रीति चरन जावक कृत<Ref>(३) (४) कृत=किया, बनाया।</ref>, अब कुब्जा मन भावै॥
कत वह प्रीति चरन जावक कृत<Ref>(४) कृत=किया, बनाया।</ref>, अब कुब्जा मन भावै॥
तब कत पानि धयो गोबर्द्धन, कत ब्रजपतिहि छड़ावै?
तब कत पानि धयो गोबर्द्धन, कत ब्रजपतिहि छड़ावै?
कत वह वेनु अधर मोहन धरि लै लै नाम बुलावै?
कत वह वेनु अधर मोहन धरि लै लै नाम बुलावै?