"पृष्ठ:भ्रमरगीत-सार.djvu/२०९": अवतरणों में अंतर
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<Poem>{{block center|{{gap|4em}}आए नँदनन्दन के नेव<Ref>(१)नेव=नायब, मंत्री।</ref>। |
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गोकुल आय जोग बिस्ताप्यो, भली तुम्हारी टेव॥ |
गोकुल आय जोग बिस्ताप्यो, भली तुम्हारी टेव॥ |
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जब बृन्दाबन रास रच्यो हरि तबहि कहाँ तू हेव<Ref>(२)हेव=ह्यो, तू था।</ref>। |
जब बृन्दाबन रास रच्यो हरि तबहि कहाँ तू हेव<Ref>(२)हेव=ह्यो, तू था।</ref>। |