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भूलती। उसका दिल अभी तक पाप की गर्द और धूल से अछूता था और मासूमियत उसे अपनी गोद में खिला रही थी।
दुनिया का सबसे अनमोल रतन

बदनसीब काला चोर फाँसी से उतरा। हज़ारों आँखें उस पर गड़ी हुई थीं। वह उस लड़के के पास आया और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगा। उसे इस वक्त वह ज़माना याद आया जब वह खुद ऐसा ही भोला-भाला, ऐसा हो खुश-व-खुर्रम और दुनिया की गंदगियों से ऐसा ही पाक-साफ़ था। माँ गोदियों में खिलाती थी, बाप बलाएँ लेता था और सारा कुनबा जान न्योछावर करता था। आह, काले चोर के दिल पर इस वक्त बीते हुए दिनों की याद का इतना असर हुआ कि उसकी आँखों से, जिन्होंने दम तोड़ती हुई लाशों को तड़पते देखा और न झपकी, आँसू का एक क़तरा टपक पड़ा। दिलफ़िगार ने लपककर उस अनमोल मोती को हाथ में ले लिया और उसके दिल ने कहा––बेशक यह दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ है जिस पर तख्ते ताऊस और जामे जम और आबे हयात और ज़रे परवेज़ सब न्योछावर हैं।
भूलती। उसका दिल अभी तक पाप की गर्द और धूल से अछूता था और

मासूमियत उसे अपनी गोद में खिला रही थी।
इस ख़याल से खुश होता, कामयाबी की उम्मीद में सरमस्त, दिलफ़िगार अपनी माशूका दिलफ़रेव के शहर मीनोसवाद को चला। मगर ज्यों ज्यों मंज़िलें तय होती जाती थीं उसका दिल बैठा जाता था कि कहीं उस चीज़ को, जिसे मैं दुनिया की सबसे बेशक़ीमत चीज़ समझता हूँ, दिलफ़रेब की आँखों में कद्र न हुई तो मैं फाँसी पर चढ़ा दिया जाऊँगा और इस दुनिया से नामुराद जाऊँगा । लेकिन जो हो सो हो, अब तो क़िस्मत-आज़माई है। आखिरकार पहाड़ और दरिया तय करते शहर मीनोसवाद में आ पहुँचा और दिलफ़रेब की ड्‌योढ़ी पर जाकर विनती की कि थकान से टूटा हुआ दिलफ़िगार खुदा के फ़ज़ल से हुक्म को तामील करके आया है, और आपके क़दम चूमना चाहता है। दिलफ़रेव ने फ़ौरन अपने सामने बुला भेजा और एक सुनहरे परदे की ओट से फ़रमाइश की कि वह अनमोल चीज़ पेश करो। दिलफ़िगार ने आशा और भय की एक विचित्र मनःस्थिति में वह बूँद पेश की और उसकी सारी कैफ़ियत बहुत पुरअसर लफ़्जों में बयान की। दिलफ़रेब ने पूरी कहानी बहुत ग़ौर से सुनी और वह भेंट हाथ में लेकर ज़रा देर तक ग़ौर करने के बाद बोली––दिलफ़िगार, बेशक तूने दुनिया की एक बेशक़ीमत चीज़ ढूंढ़ निकाली, तेरी हिम्मत और तेरी सूझ-बूझ की दाद देती हूँ! मगर यह दुनिया की सबसे बेशक़ीमत चीज़ नहीं, इसलिए तू यहाँ से जा और फिर कोशिश कर, शायद अब की तेरे हाथ वह मोती लगे और तेरी क़िस्मत में मेरी गुलामी लिखी हो।
बदनसीब काला चोर फाँसी से उतरा। हजारों आँखें उस पर गड़ी हुई थीं।
वह उस लड़के के पास आया और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगा। उसे इस
वक्त वह ज़माना याद आया जब वह खुद ऐसा ही भोला-भाला, ऐसा हो खुश-व-खुर्रम
और दुनिया की गंदगियों से ऐसा ही पाक-साफ़ था। माँ गोदियों में खिलाती थी,
बाप बलाएँ लेता था और सारा कुनबा जान न्योछावर करता था। आह, काले
चोर के दिल पर इस वक्त बीते हुए दिनों की याद का इतना असर हुआ कि उसकी
आँखों से, जिन्होंने दम तोड़ती हुई लाशों को तड़पते देखा और न झपकी, आँसू का
एक क़तरा टपक पड़ा। दिलफ़िगार ने लपककर उस अनमोल मोती को
हाथ मे
ले लिया और उसके दिल ने कहा-वेदशक यह दुनिया की सबसे अनमोल चीज
जिस पर तख्ते ताऊस और जामे जम और आवे हयात और ज़रे परवेज़ सब
न्योछावर हैं।
इस खयाल से खुश होता, कामयाबी की उम्मीद में सरमस्त, दिलफ़िगार अपनी
माशूका दिलफ़रेव के शहर मीनोसवाद को चला। मगर ज्यों ज्यों मंजिलें तय होती
जाती थीं उसका दिल बैठा जाता था कि कहीं उस चीज़ को, जिसे मैं दुनिया को
सबसे बेशकीमत चीज़ समझता हूँ, दिलफ़रेब की आँखों में कद्र न हुई तो मैं फाँसी
पर चढ़ा दिया जाऊँगा और इस दुनिया से नामुराद जाऊँगा । लेकिन जो हो सो
हो, अब तो किस्मत-आज़माई है। आखिरकार पहाड़ और दरिया तय करते शहर
मीनोसवाद में आ पहुँचा और दिलफ़रेब की ड्योढ़ी पर जाकर विनती की कि
थकान से टूटा हुआ दिलफ़िगार खुदा के फ़ज़ल से हुक्म को तामील करके आया है,
और आपके क़दम चूमना चाहता है। दिलफ़रेव ने फ़ौरन अपने सामने बुला
और एक सुनहरे परदे की ओट से फ़रमाइश की कि वह अनमोल चीज पेश करो।
दिलफ़िगार ने आशा और भय की एक विचित्र मनःस्थिति में वह बूंद पेश की
और उसकी सारी कैफ़ियत बहुत पुरअसर लफ्जों में बयान को। दिलफ़रेब ने
पूरी कहानी बहुत ग़ौर से सुनी और वह भेंट हाथ में लेकर जरा देर तक गौर करने
के बाद बोली-दिलफ़िगार, बेशक तूने दुनिया की एक बेशकीमत चीज़ ढूंढ़
निकाली, तेरी हिम्मत और तेरी सूझ-बूझ की दाद देती हूँ ! मगर यह दुनिया को
सबसे बेशक़ीमत चीज़ नहीं, इसलिए तू यहाँ से जा और फिर कोशिश कर, शायद
अब की तेरे हाथ वह मोती लगे और तेरी किस्मत में मेरी गुलामी लिखी हो।
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