"पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१२": अवतरणों में अंतर
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"घर वाले कम रोते होंगे, ठाकुर जी ज्यादा रोते होंगे।" |
"घर वाले कम रोते होंगे, ठाकुर जी ज्यादा रोते होंगे।" |
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राय साहब ने हँसकर |
राय साहब ने हँसकर पूछा––"क्यों? ठाकुर जी ज्यादा क्यों रोयेंगे।" |
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"यह सोचकर बहुत रोते होंगे कि अच्छी जगह आ |
"यह सोचकर बहुत रोते होंगे कि अच्छी जगह आ फँसे। जहाँ घर वालों का मुँह देख कर हँसना-रोना पड़ता है।" |
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"तो ठाकुर जी ऐसी जगह |
"तो ठाकुर जी ऐसी जगह फँसते क्यों हैं?" |
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"ठाकुर जी इतने सीधे हैं कि जो जहाँ पकड़ कर बिठा देता है वहीं धरे रहते हैं, फिर चाहे जितना रोना-झींकना पड़े परन्तु वहाँ से हिलने ही नहीं देते।" |
"ठाकुर जी इतने सीधे हैं कि जो जहाँ पकड़ कर बिठा देता है वहीं धरे रहते हैं, फिर चाहे जितना रोना-झींकना पड़े परन्तु वहाँ से हिलने ही नहीं देते।" |
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"अच्छा भाई होगा। ठाकुर जी का प्रसङ्ग लेकर मजाक उचित नहीं। हमें दुनियाँ से क्या मतलब हमें तो अपने काम से काम है। हम तो |
"अच्छा भाई होगा। ठाकुर जी का प्रसङ्ग लेकर मजाक उचित नहीं। हमें दुनियाँ से क्या मतलब हमें तो अपने काम से काम है। हम तो अख़बार में छपवा देंगे और द्वार पर बोर्ड भी लगा देंगे।" |
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"जब जगह ही नहीं है तब तो यह करना ही पड़ेगा।" |
"जब जगह ही नहीं है तब तो यह करना ही पड़ेगा।" |
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इसके तीसरे दिन स्थानीय समाचार पत्र में निकला: |
इसके तीसरे दिन स्थानीय समाचार पत्र में निकला:––"सर्व साधारण की जानकारी के लिए सूचित किया जाता है कि राय साहब के यहाँ जन्माष्टमी पर जो कीर्त्तन होगा वह प्राइवेट रूप से होगा। उसमें केवल निमन्त्रित लोग ही सम्मिलित हो सकेंगे। अतः कृपा करके अनिमन्त्रित सज्जन पधारने का कष्ट न उठावें। अन्यथा स्थान संकोच के कारण उन्हें निराश होकर लौट जाना पड़ेगा।" |
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यहां जन्माष्टमी पर जो कीर्त्तन होगा वह प्राइवेट रूप से होगा। उसमें केवल निमन्त्रित लोग ही सम्मिलित हो सकेंगे। अतः कृपा करके अनिमन्त्रित सज्जन पधारने का कष्ट न उठावें। अन्यथा स्थान संकोच के कारण उन्हें निराश होकर लौट जाना पड़ेगा।" |
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अधिकांश को असन्तोष हुआ। |
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पंचामृत पाने के लिए स्त्री-पुरुष की भीड़ जमा थी। |
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भीड़ देख कर रायसाहब घबराये। एक मित्र से |
भीड़ देख कर रायसाहब घबराये। एक मित्र से बोले––"आदमी बहुत जमा हो गया है।" |