"विकिस्रोत:आज का पाठ/१२ अगस्त": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
चित्र बदला। |
छो सुधार |
||
पंक्ति १:
<!--Using the format below, enter the text chosen text between the comment bars
--><!--
-->{{featured download|रक्षा बंधन/
-->[[File:Lord krishna.jpg|90px]] '''[[रक्षा बंधन/१-भक्त की टेर|
{{rule}}
"रायसाहब कन्हैयालाल भी ऐसे लोगों में थे जिन्होंने कीर्तन को अपना मनोरंजन बना रक्खा है। उनके घर में कृष्ण मन्दिर था। कृष्ण-मन्दिर में ही कीर्तन होता था। रायसाहब के कुछ परिचित तथा कुछ वेतन-भोगी लोग सन्ध्या को ७ बजे आ जाते थे और नौ बजे तक कीर्तन करते थे। चलते समय उन्हें एक एक दोना प्रसाद मिलता था। कुछ लोक तो केवल प्रसाद के लालच से ही आकर सम्मिलित हो जाते थे। मनोरंजन का मनोरंजन और प्रसाद घाते में। कभी-कभी पास-पड़ोस की कुछ महिलायें भी आ जाती थीं। जिस दिन महिलाओं का सहयोग प्राप्त हो जाता था उस दिन कीर्तन करने वाले अपना पूरा जोर लगा देते थे। कुछ लोगों के लिए महिलाओं की उपस्थिति स्फूर्ति-दायक होती है। एक दिन कीर्त्तन करने वाले रायसाहब से बोले "कृष्णाष्टमी आ रही है।"<br>
"इस बार कुछ नवीनता होनी चाहिए।"<br>
"कैसी नवीनता! झाँकी में नवीनता?"<br>
|