"विकिस्रोत:चौपाल": अवतरणों में अंतर
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मुझे लगता है कि बेहतर रूप से पुस्तकों के प्रदर्शन के लिए हमें किसी एक साँचे को चुनकर परापूर्ण करने के लिए निश्चित कर देना चाहिए। इससे भविष्य में मशीनी रूप से किसी तरह के परिवर्तन या सुधार की जरूरत पड़ने पर बहुत सुविधा होगी। सदस्यों से अनुरोध है कि पहले या दूसरे साँचे में से किसी एक को मानक बनाने के संबंध में अपना मत दें। [[सदस्य:अनिरुद्ध कुमार|अनिरुद्ध कुमार]] ([[सदस्य वार्ता:अनिरुद्ध कुमार|वार्ता]]) १७:३१, १५ जुलाई २०२० (UTC)
:वर्तमान में जो पहले (जैसा कि 'गोदान' पर किया गया है) तरह का साँचा है उसमें पृष्ठ संख्या के स्रोत लिंक और पाठ एक दूसरे में कभी मिलते नहीं है, जबकि दूसरे तरह (जैसा कि आकाश-दीप या 'वैशाली की नगरवधू' पर किया गया/जा रहा है) के साँचे में कई पृष्ठों के लिंक पाठ में मिल (ओवरलैप) जा रहे हैं। यह स्थिति परापूर्ण पुस्तक को पढ़ने में कठिनाई पैदा कर रही है। इसलिए जब तक दूसरे तरह के साँचे में अपेक्षित सुधार नहीं हो जाता, तब तक हमें पहले तरह के साँचे का प्रयोग करना चाहिए। सदस्यों से अनुरोध है कि केवल मतदान न करें बल्कि उचित कारण बताएँ। --[[सदस्य:अजीत कुमार तिवारी|अजीत कुमार तिवारी]] ([[सदस्य वार्ता:अजीत कुमार तिवारी|वार्ता]]) १८:११, १५ जुलाई २०२० (UTC)
:दूसरे तरह के परापूर्णन के साँचे (जिसमें सबसे पहले टाइटल की जानकारी देनी होती है) का उपयोग हम इसलिए करते थे क्योंकि कुछ पुस्तकों में जिनमें नया पाठ नये पृष्ठ से शुरू ना होकर उसी पृष्ठ से शुरू होता था और पृष्ठ पर सेक्शन ब्रेक लगाकर पुस्तक परापूर्ण किया जाता था। लेकिन जैसा कि [[सदस्य:अजीत कुमार तिवारी|अजीत]] जी ने बताया कि पुस्तक के
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