|
|
पन्ने की स्थिति | पन्ने की स्थिति |
- | अशोधित
| + | शोधित |
पन्ने का उपरी पाठ (noinclude): | पन्ने का उपरी पाठ (noinclude): |
पंक्ति १: |
पंक्ति १: |
|
|
{{rh|'''३४'''|'''दुर्गेशनन्दिनी।'''|}} |
|
|
{{rule|height=4px}}{{rule}} |
पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा): | पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा): |
पंक्ति १: |
पंक्ति १: |
|
⚫ |
{{gap}}ब्राह्मण पोथी खोल सुरसे पढ़ने लगा। |
|
________________ |
|
|
⚫ |
थोड़े देर के अनन्तर राजकुमार ने फिर पूछा ‘आप ब्राह्मण होकर माणिकपीर की पोथी को पढ़ते थे ? ’ |
|
|
|
|
|
दुर्गेशनन्दिनी। |
|
|
Na |
|
|
m ayane |
|
|
s warodaeindibharacaroda |
|
⚫ |
ब्राह्मण पोधी खोल सरसे पढ़ने लगा। |
|
⚫ |
थोड़े देर के अनन्तर राजकुमार ने फिर पूछा आप ब्राह्मण होकर माणिकपीर की पोथी को पढ़ते थे ? ' |
|
|
उन्ने सुर रोक कर कहा, मैं मुसलमान हो गया। |
|
उन्ने सुर रोक कर कहा, मैं मुसलमान हो गया। |
|
|
|
|
राजपुत्र ने कहा 'यह था ?' गजपति ने कहा जब मुस लमान लोग गढ़ में आए मुझसे बोले 'अरे बम्हन तेरी जाति का नाश करूंगा' और हमको पकड़कर ले गए और बांध कर मुर्गी का पोलाव खिला दिया । |
|
राजपुत्र ने कहा ‘यह था ?’ गजपति ने कहा जब मुसल्मान लोग गढ़ में आए मुझसे बोले ‘अरे बम्हन तेरी जाति का नाश करूंगा’ और हमको पकड़कर ले गए और बांध कर मुर्गी का |
|
पोलाव क्या?' दिग्गज ने कहा 'गरम चावल धी में पका हुआ' राजपुत्र समझ गए और बोले ' हां फिर?" दिग्गज ने कहा फिर हमको कलमा पढ़ाया'कलमा |
|
|
|
पोलाव खिला दिया। |
⚫ |
फिर हमसे बोले 'अब तू मुसल्मान हो गया तबले मै मुसलमान हूं। |
|
|
|
|
⚫ |
राजाकुमार ने अवसर पाय पूछा ' औरों की क्या दशा हुई ? ' और और सब ब्राह्मण ऐसही मुसलमान होगए ? ' |
|
|
|
‘पोलाव क्या?’ |
⚫ |
राजपुन ले उसमान का मुंह देखा उन्ने उनके तिरस्कार को समझ कर कहा ' इसमे दोष क्या ! मुसलमानों के लेखे उन्हीं का धर्म सच है। बल हो अथवा छल से हो सत्य धर्म के प्रचार में पाप नहीं, पुण्य होता है। |
|
|
|
|
⚫ |
राजपुत्र ने उत्तर नहीं दिया और विद्यादिमाज से पूछने लगे 'विद्यादिग्गज महाशय ! " 'जी अब शेख दिग्गज कहिथे ।' |
|
|
|
दिग्गज ने कहा ‘गरम चावल घी में पका हुआ’ |
⚫ |
अच्छा शेखजी गढ़ के और किसी का समाचार आप नहीं जानते |
|
|
|
|
|
|
राजपुत्र समझ गए और बोले ‘हां फिर ?’ |
|
|
|
|
|
दिग्गज ने कहा फिर हमको कलमा पढ़ाया- |
|
|
|
|
|
‘कलमा’ |
|
|
|
|
⚫ |
फिर हमसे बोले ‘अब तू मुसल्मान हो गया’ तबले मैं मुसलमान हूं। |
|
|
|
|
⚫ |
राजाकुमार ने अवसर पाय पूछा ‘औरों की क्या दशा हुई ? ’और और सब ब्राह्मण ऐसही मुसलमान होगए ? ’ |
|
|
|
|
⚫ |
राजपुन ले उसमान का मुंह देखा उन्ने उनके तिरस्कार को समझ कर कहा ‘इसमे दोष क्या ! मुसलमानों के लेखे उन्हीं का धर्म सच है। बल हो अथवा छल से हो सत्य धर्म के प्रचार में पाप नहीं, पुण्य होता है’। |
|
|
|
|
⚫ |
राजपुत्र ने उत्तर नहीं दिया और विद्यादिमाज से पूछने लगे ‘विद्यादिग्गज महाशय ! ’ |
|
|
|
|
|
‘जी अब शेख दिग्गज कहिथे।’ |
|
|
|
|
⚫ |
अच्छा शेखजी गढ़ के और किसी का समाचार आप नहीं जानते ? |