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मेरा राम

जब गाधीजीसे पूछा गया कि गैर-हिन्दू रामधुनमे कैसे भाग ले सकते है, तब अुन्होने कहा

"जब कोअी यह अेतराज अुठाता है कि रामका नाम लेना या रामधुन गाना तो सिर्फ हिन्दुओके लिअे है, मुसलमान अुसमे किस तरह शरीक हो सकते है, तब मुझे मन-ही-मन हसी आती है। क्या मुसलमानोका भगवान हिन्दुओ, पारसियो या अीसाअियोके भगवानसे जुदा है? नही, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी अीश्वर तो अेक ही है। अुसके कअी नाम है, और अुसका जो नाम हमे सबसे ज्यादा प्यारा होता है, अुस नामसे हम अुसको याद करते है।

"मेरा राम, हमारी प्रार्थनाके समयका राम, वह अैतिहासिक राम नही है, जो दशरथका पुत्र और अयोध्याका राजा था। वह तो सनातन, अजन्मा और अद्वितीय राम है। मै अुसीकी पूजा करता हू। अुसीकी मदद चाहता हू। आपको भी यही करना चाहिये। वह समान रूपसे सब किसीका है। अिसलअे मेरी समझमे नही आता कि क्यो किसी मुसलमानको या दूसरे किसीको अुसका नाम लेनेमे अेतराज होना चाहिये? लेकिन यह कोअी जरूरी नहीं कि वह रामके रूपमे ही भगवानको पहचाने—अुसका नाम ले। वह मन-ही-मन अल्लाह या खुदाका नाम भी अिस तरह जप सकता है, जिससे अुसमे बेसुरापन न आवे।"

हरिजनसेवक, २८-४-१९४६

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