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पधारो म्हारे देस

कभी यहां समुद्र था । लहरों पर लहरें उठती रही थीं । काल की लहरों ने उस अघाह समुद्र को न जाने क्यों और कैसे सुखाया होगा । अब यहां रेत का समुद्र है । लहरों पर लहरें अभी भी उठती हैं ।

प्रकृति के एक विराट रूप को दूसरे विराट रूप में _समुद्र से मरुभूमि में बदलने में लाखों बरस लगे होंगे । नए रूप को आकार लिए भी आज हजारों बरस हो चुके हैं । लेकिन राजस्थान का समाज यहां के पहले रूप को भूला नहीं है। वह अपने मन की गहराई में आज भी उसे हाकड़ो नाम से याद रखे है । कोई हजार बरस पुरानी डिंगल भाषा में और आज की राजस्थानी में भी हाकड़ो शब्द उन पीढ़ियों की लहरों में तैरता रहा है, जिनके पुरखों ने भी कभी समुद्र नहीं देखा था।

आज के मारवाड़ के पश्चिम में लाखों बरस पहले रहे हकाड़ो के अलावा