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ठहरा पानी निर्मला

'बहता पानी निर्मला' कहावत राजस्थान में ठिठक कर खड़ी हो जाती है। यहां कुंडियां हैं, जिनमें पानी बरस भर, और कभी-कभी उससे भी ज्यादा समय तक ठहरा रह कर भी निर्मल बना रहता है।

सिद्धांत वही है: वर्षा की बूंदों को यानी पालर पानी को एक खूब साफ़ सुथरी जगह में रोक कर उनका संग्रह करना। कुंडी, कुंड, टांका - नाम या आकार बदल जाएँ, काम एक ही है - आज गिरी बूंदों को कल के लिए रोक लेना। कुंडी सब जगह हैं। पहाड़ पर बने किलों में, मंदिरों में, पहाड़ की तलहटी में, घर के आंगन में, छत में, गांव में, गांव के बाहर निर्जन में, रेत में, खेत में ये सब जगह, सब समय में बनती रही हैं। तीन सौं, चार सौ बरस पुरानी कुंडी भी हैं और अभी कल ही बनी कुंडियां भी मिल जाएंगी। और तो और, स्टार टीवी के एंटिना के ठीक नीचे भी कुंडी दिख सकती है।