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सच्ची सभ्यता कौनसी?


शादी हो जाती है, जिस देशमें बारह सालकी उम्रके लड़के-लड़कियां घर-संसार चलाते हैं, जिस देशमें स्री एकसे ज्यादा पति करती है, जिस देशमें नियोग[१] की प्रथा है, जिस देशमें धर्मके नाम पर कुमारिकाएं बेसवाएं[२] बनती हैं, जिस देशमें धर्मके नाम पर पाड़ों और बकरोंको हत्या[३] होती है, वह देश भी हिन्दुस्तान ही है। ऐसा होने पर भी आपने जो बताया वह क्या सभ्यताका लक्षण[४] है?

संपादक : आप भूलते हैं। आपने जो दोष बताये वे तो सचमुच दोष ही हैं। उन्हें कोई सभ्यता नहीं कहता। वे दोष सभ्यताके बावजूद कायम रहे हैं। उन्हें दूर करनेके प्रयत्न हमेशा हुए हैं, और होते ही रहेंगे । हममें जो नया जोश पैदा हुआ है, उसका उपयोग हम इन दोषोंको दूर करनेमें कर सकते हैं।

मैंने आपको आजकी सभ्यताको जो निशानी बताई, उसे इस सभ्यताके हिमायती खुद बताते हैं। मैंने हिन्दुस्तानकी सभ्यताका जो वर्णन[५] किया, वह वर्णन नई सभ्यताके हिमायतियोंने किया है।

किसी भी देशमें किसी भी सभ्यताके मातहत सभी लोग संपूर्णता तक नहीं पहुँच पाये हैं। हिन्दुस्तानकी सभ्यताका झुकाव नीतिको मजबूत करनेकी ओर है; पश्चिमकी सभ्यताका झुकाव अनीतिको मजबूत करनेकी ओर है। इसलिए मैंने उसे हानिकारक कहा है। पश्चिमकी सभ्यता निरीश्वरवादी[६] है, हिन्दुस्तानकी सभ्यता ईश्वरमें माननेवाली है।

यों समझकर, ऐसी श्रद्धा रखकर, हिन्दुस्तानके हितचिंतकोंको चाहिये कि वे हिन्दुस्तानकी सभ्यतासे, बच्चा जैसे माँसे चिपटा रहता है वैसे, चिपट रहें।

  1. एक पुराना रिवाज जिसके मुताबिक बिना संतानवाली स्त्री पतिके रोगी, नपुंसक या मृत होनेकी हालतमें अपने देवर या पतिके किसी और संबंधीसे संतान पैदा करा सकती थी।
  2. देवदासियां।
  3. कत्ल।
  4. निशानी।
  5. बयान।
  6. खुदामें नहीं माननेवाली।