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मशीनें


बत्ती या ट्राम नहीं है। प्रामाणिक[१] वैद्य और डॉक्टर आपको बतायेंगे कि जहाँ रेलगाड़ी, ट्रामगाड़ी वगैरा साधन[२] बढे़ हैं, वहाँ लोगोंकी तन्दुरुस्ती गिरी हुई होती है। मुझे याद है कि यूरोपके एक शहरमें जब पैसेकी तंगी हो गई थी तब ट्रामों, वकीलों और डॉक्टरोंकी आमदनी घट गयी थी, लेकिन लोग तन्दुरुस्त हो गये थे।

यंत्रका गुण तो मुझे एक भी याद नहीं आता, जब कि उसके अवगुणोंसे मैं पूरी किताब लिख सकता हूँ।

पाठक : यह सारा लिखा हुआ यंत्रकी मददसे छापा जायगा और उसकी मददसे बाँटा जायगा, यह यंत्रका गुण है या अवगुण?

संपादक : यह ‘ज़हरकी दवा ज़हर है' की मिसाल है। इसमें यंत्रका कोई गुण नहीं है। यंत्र मरते मरते कह जाता है कि ‘मुझसे बचिये, होशियार रहिये; मुझसे आपको कोई फायदा नहीं होनेका।' अगर ऐसा कहा जाय कि यंत्रने इतनी ठीक कोशिश की, तो यह भी उन्हीके लिए लागू होता है जो यंत्रकी जालमें फँसे हुए हैं।

लेकिन मूल बात न भूलियेगा। मनमें यह तय कर लेना चाहिये कि यंत्र खराब चीज है। बादमें हम उसका धीरे-धीरे नाश करेंगे। ऐसा कोई सरल[३] रास्ता कुदरतने ही बनाया नहीं है कि जिस चीजकी हमें इच्छा हो वह तुरन्त मिल जाय। यंत्रके ऊपर हमारी मीठी नज़रके बजाय ज़हरीली नज़र पड़ेगी, तो आखिर वह जायगा ही।


  1. ईमानदार।
  2. ज़रिये।
  3. आसान, सीधा।