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हिन्द स्वराज्य


जगह यह है : जब मैंने और आपने अपनी इन्द्रियोंको बसमें कर लिया हो, जब हमने नीतिकी नींव मजबूत बना ली हो, तब अगर हमें अक्षर-ज्ञान पाने की इच्छा हो, तो उसे पाकर हम उसका अच्छा उपयोग कर सकते हैं। वह शिक्षा आभूषण[१] के रूपमें अच्छी लग सकती है। लेकिन अक्षर-ज्ञानका अगर आभूषणके तौर पर ही उपयोग हो, तो ऐसी शिक्षाको लाज़िमी करनेकी हमें ज़रूरत नहीं। हमारे पुराने स्कूल ही काफ़ी हैं। वहां नीतिको पहला स्थान दिया जाता है। वह सच्ची प्राथमिक शिक्षा है। उस पर हम जो इमारत खड़ी करेंगे वह टिक सकेगी।

पाठक : तब क्या मेरा यह समझना ठीक है कि आप स्वराज्यके लिए अंग्रेजी शिक्षाका कोई उपयोग नहीं मानते?

संपादक : मेरा जवाब 'हाँ' और 'नहीं' दोनों है। करोड़ों लोगोंको अंग्रेजीकी शिक्षा देना उन्हें गुलामीमें डालने जैसा है। मेकोलेने शिक्षाकी जो बुनियाद डाली, वह सचमुच गुलामीकी बुनियाद थी। उसने इसी इरादेसे अपनी योजना बनाई थी, ऐसा मैं नहीं सुझाना चाहता। लेकिन उसके कामका नतीजा यही निकला है। यह कितने दुखकी बात है कि हम स्वराज्यकी बात भी पराई भाषामें करते हैं?

जिस शिक्षाको अंग्रेजोंने ठुकरा दिया है वह हमारा सिंगार बनती है, यह जानने लायक है। उन्हींके विद्वान कहते रहते हैं कि उसमें यह अच्छा नहीं है, वह अच्छा नहीं है। वे जिसे भूल-से गये हैं, उसीसे हम अपने अज्ञानके कारण चिपके रहते हैं। उनमें अपनी अपनी भाषाकी उन्नति करनेकी कोशिश चल रही है। वेल्स इंग्लैंडका एक छोटासा परगना है; उसकी भाषा धूल जैसी नगण्य है। ऐसी भाषाका अब जीर्णोद्धार[२] हो रहा है।

वेल्सके बच्चे वेल्श भाषामें ही बोलें, ऐसी कोशिश वहाँ चल रही है। इसमें इंग्लैंडके खजांची लॉयड जॉर्ज बड़ा हिस्सा लेते हैं। और हमारी दशा कैसी है? हम एक-दूसरेको पत्र लिखते हैं तब गलत अंग्रेजीमें लिखते हैं। एक साधारण एम. ए. पास आदमी भी ऐसी गलत अंग्रेजीसे बचा नहीं होता।


  1. गहना।
  2. उद्धार-संवार, फिरसे जिलानेकी कोशिश।