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अफरनियस लूसियस ज्ञानकोश (अ) ३१८ अफरिकेनस जूलियस

वालोंनें फोनेशियाले ही उघृत किये हैं उसों भौंति इलको कल्पना भी बहोंसे युनान आई हों। जैसा कि अनुमान किया जाता हैं कि इसा सं १५०० वर्ष पूर्व युनान मैं फोनोशियन संभ्वता ने विकास पाया था इसमें कोई आश्र्वर्य नहीं रह जाता कि होमर का काल आते आते इस देविका युनान मैं पूरा प्रचार हो गया हो और इसको ऑलिम्पियाके देवताओं मैं प्रधानत्व प्राप्त हो गाया हो। युनान ऐसा सुन्दरता तथा प्रेमप्रधान देशमें यदि इसका सबसे अधीक महत्व देख पडता हैं तो आश्वर्य हो क्या। युनान के प्राचीन तत्वज्ञानी तो समस्त ब्रम्हांड में केवल प्रेम ही का प्रधानत्व मानते थे । इस देवी के साथ आनेक गुणोका समावेश होने लगा था। यह युद्द मैं विजय देने वाली, प्रकृतिको बसन्त की सुन्दरता तथा फल फूल प्रदान करने वाली, मानवपात्र मैं प्रेम क बोज उत्पन करने वाली, सारंश सब प्रकार की सफलता देनेवाली समभ्क्ती जाती हैं। यह स्वयं भी सुन्दरता का उत्कृष्ट उधहरण समभ्क्ती जाती थी। जिस समय युनान मैं शिल्प तथा कला पराकाष्टा पर पहुँची हुई थी उस समय इस की अनेक अनेक उत्तम प्रतिमायें बनाई गई थी। उनमें से कुछ आज भी वर्तमान हैं। ट्रोजन के युद्द मैं वह युनान से क्रुद्द हो रही थी और उसीने ऐनिस, हैक्टर, पेरी इत्यादी की रक्षा की थी। विनोमेलुआ इत्यादि मैं आज भी इसकी प्रतिमा दर्शनीय हैं। आगे चलकर जब रोममें सभ्वता का विकास हुआ तो भिन्न् मिन्न् नामों से इसको यहाँ भी पूजा की जाने लगी तथा अनेक मूर्तियाँ स्थापित की गयी। साईप्रस, सिथिरा, निडस, कौरिन्थ, थीरा सिसिली और ऑथेन्स मैं इसका सबसे अधिक प्रचार था तथा वहाँ के निवासी इसकी भिन्न भिन्न प्रकार से पूजा किया करते थे। कछुआ, बतख, हंस, खरगोश, तथा बकरे भिन्न भिन्न अवस्थामें इसके बाहन होते थे। सारांश, प्राचीन पाश्वात्य सभ्यता में इसका सबसे अधीक महत्व था। अफरानियस लूसियस- यह एक प्रसिद्द रोमन हो गया हैं। इसके प्ररम्भिक जीवन के इतिहास के विषय में कुछ भी ज्ञान नही हैं। पाँम्पे पर इसकी विशेष श्रद्दा और भक्ति थी। उसी के समय में यह भी विख्यात हो गया। जोरोटोरियन तथा भिथ्रेडेटिक युद्द में इसने बडी तत्परतासे पाँम्पे का साथ दिया था और इन्ही युद्दों के बाद से यह प्रसिद्द हो उठा। ईसा सं ६० वर्ष पूर्व पाँम्पे की सहयता से ही यह रोमन सम्राज्य का काउन्सल तक बन बैठा था। चाहे सैनिक ज्ञान इसे कितना ही क्यों न रहा हो, किन्तु राज्यप्रबन्ध में यह निपट असफल रहा। केवल यह दोष इस में नहीं था। बहुधा जितने भी चतुर सैनिक ऐसे पद पर पहुँचे थे अथवा इसके पश्वत पहुँचे, राज्य प्रबन्ध को सम्हालने में नितान्त आसमर्थ रहे। अगले वर्ष वह किस लपा- इन गाँव का सूबेदार नियुक्त किया गया और वहाँ पर भी उसने एक युद्द जीता था। ईसा स्ं ५५ वर्ष जब पाम्पेके हाथ स्पेन का राज्य आया तो इस प्रदेशके राज्यसश्वालन का भार इसके और पेटरियस के हाथ सौंपा गया। ईसा सं ४६ वर्ष पूर्व जब पाँम्पे तथा सीजरमें अनबन हो गई थी तो इन दोनों ने सीजर के विरुद्द हथियार उठाया था। पहले तो सफलता इन्हीं के हाथ विदित होति थी किन्तु शिघ्र ही श्रलरदा के मैदान में सीजर के सम्मुख इन्हें हथियार डाल देना पडा था। सीजर ने केवल इतना वचन लेकर कि वह सीजर के विरुद्द भविष्य में कभी हथियार ना उठावेगा, उसे छोड दिया। अफरानियस अपने वचन पर डृढ रहा। इसा सं ४८ वर्ष पूर्व जब पाँम्पे डिरोशियम के समीप पडा हुआ था तो यह उससे जाकर फिर मिल गया और सीजर के विरुद्द फारसेलियाके मैदान में एक बार फिर पाँम्पे का साथ दिया। इस युद्द में जब पाँम्पे की पूर्वरूप से पराजय हो गई और इसे सीजर से भी नमा प्राप्त होने की कोई आशा न रही तो वह आफ्रिका चल दिया । इसने वहा पहुँच कर ईसा सं ४६ वर्ष पूर्व थेपस्स के युद्द में फिर भाग लिया। भाग्य ने वहाँ पर भी साथ नही दिया और इस युद्द में पराजय होने के पश्चात पाँम्पे के अनुयायिओं को कोई भी आशा नही रह गई। वहाँ से भी यह घुडसवारों के एक दलके साथ भाग निकला, किन्तु सिटियस की सेनाके हाथ बच ना पाया। उसने पकड कर इसे सीजर के हवाले कर दिया। सीजरके सैनिक इसके वधकी आज्ञा के लिये श्रधोर हो रहे थे, उधर सीजर आज्ञा देने में ढोल डाले हुए। अतः वे सब बिगड उठे और बिना उसकी आज्ञा के ही उसकी हत्या कर डाली। आफरिकेनस जूलियस- यह तीसरी शताब्दि क इतिहास लेखक हो गया हैं यह ईसाई धर्म का था। कुछ के मतानुसार तो इस क जन्म