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(२)नेचे-कोयले के काल में इनका पूर्ण विकास हुआ था। पानी के नेचे में को श्रमूलक जलवर्ती और पर्णगुच्छुक स्थलवर्ती जातियाँ खडियों के समय से दिखाई पडती हैं।


मुब्दलक और ऋश्र्वपुच्छ- ये बाहिनीमय अपुष्प के भेद हैं;किन्तु उसमें उनका अधिक विकास नहीं हुआ था। हाँ, नेचे में हुआ कह सकते हैं। उनसे बीज उत्पन्न करनेवाली वनस्पतियाँ उत्पन्न हुई। बिलकुल पूर्वकालीन अनावृत बीजवर्ग और नेचे के बीज की भी एक जाति थी। यह कवैजनक समय में बडे महत्व की थीं। उसकी साधारण रचना नेचे के सदृश थी किन्तु उसमें दो प्रकार की जननपेशी निकलती थी। स्त्री जननपेशी अनावृत बीज की सायडासी (Cyeadaceae) जाति के बीज के सदृश होती हैं,किन्तु वे सायडीसी के समान विशिष्ठ फूल में नहीं आती थी। इस प्रकार अपुष्प और सपुष्प वर्ग के भेद प्राचीन समय के वनस्पतियों में भी मिलते हैं।


अपेनाइन्स-वह एक पर्वत श्रेणी है जो इटली के मध्यभाग में स्थित है। पहले अपेनाइन्स से केवल उत्त्तर श्रेणी का बोध होता था किन्तु अब यह नाम पूरी श्रेणी को दे दिया गया है। आधुनिक भूगोलवेत्ताओँ ने इसे तीन भाग में विभाजित किया है:-(१)उत्तरी,(२)मध्य तथा (३)दक्षिणी।


उत्तरी अपेनाइन्स फिर तीन भागों में बँटा हुआ है जो लिग्युरियन,टस्कन तथा अंब्रियन के नाम से प्रसिद्ध है। लिग्युरियन लासिसा घाट तक,टस्कन उससे आगे टाइबर के उद्गम स्थान तक,तथा अंब्रियन कागली की घाटी तक फैला हुआ है। इस भाँति इस पवत की श्रेणी इटली के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फली हुई है। उत्तर में लिग्यूरियन श्रेणी से निकल कर अनेक नदियाँ 'पो' नदी में मिलती हैं। टाइबर नदी का उद्गम अंब्रियन श्रेणी में है। लिग्युरियन की माँउन्टव्यू नामक चोटी ५६९५ फीट उँची है, टस्कन की चोटी माउन्ट सिमोन ७१०३ फीट है, तथा अंब्रियनकी चोटी माउन्ट नीरोन की उँचाई ५०९० फीट है। इन पर्वतों से अनेक रेलवे लाइन हो कर जाती है। निनोवा-हाक्को-लाइन को ५ मील लम्बी एक सुरंग है। टस्कन श्रेणी के पश्चिमीय भाग के अतिरिक्त और कहीं भी खनिज अथवा रासायनिक पदार्थ नहीं प्राप्त होते।


मध्य अपेनाइन्स ही इन श्रेणियों में प्रधान समभ्का जाता है। वह बहुत दूर तक फैला हुआ है और इसकी अनेक चोटियाँ हैं:-माउन्ट वेटोर (५१२५ फीट),माउन्ट वलिनो (५१६० फीट) तथा माउन्ट अमरो (६१७० फीट)। पश्चिमीय नदियों में नीरा ही मुख्य है। टाइबर नदी द्वारा,रोम के समीप जो ज्वालामुखी पर्वत हैं, वे मध्यश्रेणी से अलग हो गये हैं।


दक्षिण अपेनाइन्समें में अनेक दरै हैं जिससे इसकी तीन समानान्तर श्रेणियाँ देख पडती हैं। पूर्व में जो माउन्ट गरगानों की चोटी है वह नेपल्ल के समीप के ज्वालामुखी पर्वतौं से काफी अलग मालूम होती हैं।माउन्ट बोलिनो (७३२५ फीट) इसकी सबसे उँची श्रेणी है। इसका खडिया का भाग 'सीवारी' के मैदान के पास पहुँचते-पहुँचते समास हो जाता है और वहाँ से झेनाइट का भाग आरम्भ होता है। इसका नाम कैलिविया पर्वत है।


अपेनाइन्स पर्वत पर अनेक जंगल हैं। प्राचीन काल में तो अनेक थे और वे बहुत घने भी थे।इनमें चीड, शाहवलूत, इत्यादि के वृक्ष बहुतायतसे पाये जाते थे। सियार इन जंगलों में बहुत हैं। खरगोंश बिल्कुल नहीं देख पडते। जो बहुत उँचे शिखर हैं वे सदा बर्फ से ढके रहते हैं। यधाप खनिज पदार्थ यहाँ नहीं देख पडते,किन्तु खनिज पदार्थ मिश्रित तथा गरम पानी के अनेक सोते यहाँ पाये जाते हैं।यधापि अपेनाइन्स और ऑल्प्स की श्रेणियाँ आपस में मिली हुई हैं, किन्तु उनकी बनावट बिलकुल भिन्न भिन्न है। बेनकॉन की बनावट जिनोआ की खाडी तक एक ही सी चली गई है।


ऑल्पस में ऐसी अनेक चट्टाने हैं जिनके स्तर अलग अलग किये जा सकते हैं। अपेनाइन्स में थोडी बहुत जो इस प्रकार की चट्टाने हैं, वे केवल दक्षिणी छोर पर मिलती हैं।


अपेनाइन्स में अधिकतर जो स्तर मिलते हैं,वे मध्ययुगीन अथवा द्वितीयकाल में 'सोजोइक' के हैं,या वे तृतीय काल के हैं। अल्पस की प्राचीन चट्टानों के स्तरों का अवशेष टस्कन समुद्र तट के द्वीप तथा सिसरों के अन्तरीप में मिलता हैं। अपेनाइन्स में इनका बिलकुल, अभाव देख पडता है। किन्तु दक्षिणीय अपेनाइन्स के नवप्रभात (एओसीन) नामक स्तरों के देखने से विदित होता है कि तृतीयकालीन पहलदार चट्टाने वहाँ काफी रही होगी। ऐसा भी अनुभव होता है कि तृतीयकाल में टी हेनियन समुद्र के स्थान पर ऐसी चट्टानोंवाला पहाडों प्रदेश रहा होगा।


कंलेविया के अतिरिक्त सम्पुर्ण अपेनाइन्स