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अटलस पर्वत (उ० रे० ३२ और प० रे० ६० से आरम्भ होता है । यह आफ्रिका महाद्वीपके उत्तर की और ऊँचे पहाडों की श्रेणियाँ हैं। यह योरप के पहाडों के सिलसिले में हैं। इसके मध्य में उपजाऊ घाटियाँ है।इस प्र्देश के दो भाग हैं- टेल अटलस और शाटस अटलस। टेल की घाटियों में गेहूँ,जौ,मक्का,जैतून,अंगूर,अज्जीर, तथा नारंगी इत्यादि पैदा होती हैं।यहाँ पर अल्फा नामक घास बहुत होती है जो कागस बनाने के काम में आती है।यहाँ पालतू जानवर भी पाये जाते हैं।शाटस की पहाडियों में अधिक घने जडूल हैं। यहाँ कार्क और शाहबलूतके लम्बे लम्बे वृक्श होते है।ऊँचे भागों की चरागाहों में भेड इत्यादि पाली जाती है। इस प्र्देश के आदि निवासी भूर जाति के मुसलमान हैं। इसकी आवहवा भूमध्य सागर के समान ही है। इस पहाड की चोटियाँ बहुत ऊँची न्हीं है। अटलस पर जो देश आबाद हैं उन्हें बारबरी स्टेट्स कहते हैं। अटल्स के उच्चत मे श्रणियों पर गरमियों में भी हलकी सी बरफ गिरती है इसकी सबसे ऊँची श्रेणी ९४००० फीट के लग भग है। इसकी श्रेणियाँ मोरक्को प्र्देश से ट्यूनिस प्र्देश तक फैली हुई हैं। यध्य्पि उसके बहुत से भाग का अव तक पूरा पता नहीं लगा है तो भी कहीं कहीं ताँवा, लोहा और सीसे की खाने मिलती हैं। इसका तद्देशीय प्राचीन नाम इद्राने-ए-दीं था। अटलस यूनान देश के पौराणिक इतिहास में इसे एक अत्यन्त बलिष्ठ राक्शस माना गया है। यह टीटान इएप्टस तथा क्लिमोनका पुत्र था। प्रोमेथेन्स तथा एपिहेथेन्स इसके दो भाई थे।प्लेइडस और हेइडस नामक इसके पुत्र थे।अत्यन्त शक्तिमान होने के कारण यह अपनी जाति टिटान का शीघ्र ही नेता बन बैठि और उनकी सहायता से स्वर्ग पर चढाई कर दी। इसकी इस घृण्टता से जुइस अत्यन्त कुद्ध सुआ।फलत्ः इसको अपने मस्तक और भुजाओं पर ब्रह्माण्ड उठाकर खडे रहने का दण्ड दिया गया। पौराणिक हप्टिसे हेस्पेरिडिस संसार का पष्चिमिय छोर समभ्क्त जाता था और यहाँ पर दिन औए रात्री का समागम होकर सूर्य भगवान विश्वास करते थे। आघुनिक विचार से यह आफ्रिका उत्तर पष्चिम का भाग था। इसी स्थान पर स्थित रहकर अटल्स का अपना