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किसानवादी
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यहूदी स्त्री उसे पुस्तके तथा फल भेट करने जाती थी। उसने सदैव हिटलर की सहायता की। हिटलर के आत्मचरित 'मेरा संघर्ष' के लिखने मे भी उसने सहायता दी।


क्रान्तिकारी कांग्रेस-संघ--इस नाम की एक संस्था सन् १९३५-३९ में भारत-प्रसिद्ध श्री एम० एन० राय (मानवेन्द्र नाथ राय) ने स्थापित की। इसका अँगरेजी नाम है--League of Radical Congressmen. इस दल का जनता पर कोई प्रभाव नही है, और न इसका कार्यक्रम ही क्रांतिकारी है। ऐसा प्रतीत होता है कि एक नया दल खड़ा करने के लिए ही संघ बनाया गया है। इस संघ में श्री राय के अनुयायी शामिल है।


किसान-कार्यक्रम--फैज़पुर कांग्रस-अघिवेशन, दिसम्बर १९३६ मे, किसान के हित के लिए जो कार्यक्रम निश्चय किया गया, वह किसान-कार्य-क्रम के नाम से प्रसिद्ध है। लगान मे काफ़ी कमी, बिना मुनाफे की जोत से लगान न लेना, कृषि पैदावार पर कृशि पैदावार-कर, नहरो की आबपाशी की दर में कमी, नज़राने तथा वेगार आदि बन्द करना, काश्तकारो को ज़मीन पर मौरूसी अधिकार दिलाना, अपनी काश्त पर मकान तथा पेड़ लगाने का अधिकार, सहकारी ढंग पर खेती की व्यवस्था, किसान-कर्जे़ में कमी और माफी, गोचर-भूमि की व्यवस्था, पिछले सालो का वक़ाया लगान माफ, दीवानी क़र्जे की वसूली की भाँति बक़ाया लगान की वसूली की जाय, जमींदार को किसान को काश्त से वेदख़ल करने का अधिकार न रहे, खेतिहार-मज़दूरों के लिए उचित मज़दूरी की व्यवस्था, किसान सभाओ को मज़ूर किया जाय।

काग्रेस-मंत्रि मण्डलो ने, अपने शासन-कल मे, इनमे से कुछ सुधार किये, परन्तु मौलिक तथा सब किसानो को लाभ पहुँचानेवाले सुधार नहीं किये गये।


किसानवादी--यह शब्द किसानो और विशेषतः भूमिहीन कृपिकारो के हितो के राजनीतिक प्रतिनिधियो के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत मे समाजवादी प्रचार के कारण किसानवादियो का अच्छा संगठन होगया है। देश भर में किसान-सभाये हैं और किसानों का केवल प्रान्तीय ही नही अखिल