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अखिल अरब आन्दोलन
 


न्याय-संबधी कार्यों की सुनियोजित व्यवस्था, अन्तर्राष्ट्रीय रैडक्रास सोसाइटी सघ, पास-पोर्ट-बीमा, अमरीका की संस्थाओं के विरुद्ध वाह्य शक्तियों द्वारा संचालित कार्य एव प्रचार, अन्तर्अमरीकन प्रजातत्रवादी आदर्श को ख़तरे में डालनेवाली विचारधारा से सुरक्षा, शरणागती की योजना, अन्तर्राष्ट्रीय विधान की रचना, अन्तर्अमरीकन सगठन, झगड़ों का शान्तिपूर्ण निर्णय, अमरीका के राज्यों की रक्षा में पारस्परिक सहायता, अमरीका के राज्यों में शान्ति तथा सगठन की स्थापना, पारस्परिक विचारविनिमय का तरीका, इत्यादि।


अखिल अरब आन्दोलन--इस आन्दोलन का लक्ष्य है समस्त अरबों का एक सघ या राज्य स्थापित करना। शाम (सीरिया), जो आधुनिक अरबी राष्ट्रीयता का गढ़ है, इस आन्दोलन का केन्द्र है। इसके समर्थक समस्त अरबी-भाषी देशो से मिलते हैं। यह आन्दोलन अखिल इस्लामवाद (Pan-Islamism) से मिलता-जुलता है। परन्तु अन्तर केवल इतना ही है। कि इसका आधार राष्ट्रीय है, इसी कारण इस आन्दोलन में अरबी-ईसाई भी, मुस्लिम अरबो की भॉति ही, सहयोग देते हैं।

इस आन्दोलन में अरबो की स्थानिक तथा क़बीले-संबंधी दृढ भावना और भिन्न अरब राज्यो एव नरेशो में प्रतिस्पर्धा के कारण बाधा पड़ रही है। इस स्पर्द्धा के आधार में कोई सैद्धान्तिक मतभेद नहीं है, प्रत्युत् नेतृत्व के लिए झगडा है। अखिल-अरब आन्दोलन कोई सुसगठित शक्ति नहीं है। वह तो अरबो से पायी जानेवाली एक सामान्य सहानुभूति की भावधारा है, जो समय-समय पर प्रकट होजाती है। अनेक गुप्त तथा प्रकाश्य सस्थाओं द्वारा इस आन्दोलन का संचालन हो रहा है। फिलिस्तीन के प्रश्न पर विल्देन--शाम(सीरिया) मे सितम्बर १९३७ में अखिल अरबवादियो की एक कांग्रेस हुई थी। यरूशलम के मुफ्ती आजम के प्रयत्न से यह कांग्रेस हुई थी। इसमे ४५० प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस आन्दोलन का लक्ष्य है समस्त अरब-राज्यों का सघ स्थापित करना। फिलिस्तीन में यहूदियों को यह लोग सशक्त नहीं देखना चाहते। मिस्र की इस आन्दोलन से सहानुभूति तो है परन्तु दूरी वाधक है। कुछ मिस्रवासियों का कहना है कि मिस्र सब अरब राज्यों में प्रगतिशील है इसलिए उसे इस आन्दोलन का नेतृत्व ग्रहण करना