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मालवीय २ ६ है

हैं; यहाँ तक कि वर्त्तमान युद्ध आरम्भ होजाने पर चेम्बरलेन की सरकार में शामिल होने से भी उन्होंने इनकार कर दिया, अगचै युद्ध-प्रयत्नों में सरकार से पूर्ण सहयोग करते रहे । चेम्बरलेनी सरकार के हटने के बाद, जून १९४० मे, जब चचिल की सबैन्दलत्सऱकब्बर बनी, तब युद्ध-माहि-पडल के ६ स्थानो में से दो मज़दृदु-दली सदस्यों (एटली और ग्रीनवुड) को मिले तथा दल के कई सदस्य मंजी बनाये गये । दल के प्रमुख नेता मेजर सी० आर" एमिली ( लार्ड प्रिवी सील ) हैं; दल के नेता हैं आर्थर ग्रीनवुड ( मिनिस्टर ); दल के उप नेता हृरबर्दे मारीसन ( स्वदेश मन्त्री ), ह्यष्टीडारुटन ( सामरिक मितव्य- यिता-मदृत्री ), लार्ड स्नेल, लार्ड पैसफीढ़ड, पी० नाइल-बेकर, ऐलिन विहिकन्तन, जे० एस० (मेरिल-इन, सर वाक्तटर सिट्राइन ( मज़दृदु-संघ के प्रधान मची क्वे जे० आर" क्रलाइन्स, अरबैस्ट बीविन ( मिनिस्टर मज़कू विभाग ) ।

मरुसुद्योका- १ ९४० तक जापान का वैदेशिक मदृत्री, जिसकी आक्राक्षा और प्रयत्न से ही जापान और जर्मनी, इटली का र्गेठजोडा हुआ । मस्तु- ओका अत्यन्त महत्वत्कान्ही है और वह जापान का हिटलर बनने की क्तिरक्र में रहा है । यद्यपि इस समय वह जापान का वैदेशिक मन्नत्री नहीं है, किन्तु जापान आज उसीकी योजना को कार्यान्वित कर रहा है । एम" मत्सुशोका, आपने बचपन मे ही, अमरीका चला गया था 1 वहीं के एक विमवा"वेद्यालय में उसने शिक्षा पाई, अँगरेजी का वह विद्वान्है ।

मालवीय, महामना र्पडित मद-हिन-य-देश के अवसर-प्राप्त राट्रीय नेता । जन्म २५ दिसम्बर १८६१ ई० । म्योर सेटूल कालिज, प्रयाग, से शिक्षा प्राप्त की । सन् १८८४ से १८८७ तक नावर्ममेरुट हाई स्कूल में अध्यापक रहे । कालाकाँकर के हिन्दी दैनिक 'हिन्दुस्तान' तथा प्रयाग के साप्ताहिक 'इडियन ओपिनियन' का संपादन किया । सन् १८९१ मे कानून की परीक्षा पास की । सत् १९०२-१२ तक संयुक्त-प्रदेश की प्रान्तीय धारासभा के सदस्य रहे । कांग्रेस की दूसरी बैठक से ही आप उसमें सम्मिलित रहे । सत् १९०९ और १९१८ में उसके अध्यक्ष हुए । सत् १९३२-१९३ ३ मे भी वे इस महान पद पर चुने गये, किन्तु अधिवेशन से पहले ही रिश्चफ़तार कर लिये गये । १ ९१ ०-१ ९ तक इम्पीरियल लेजित्लेटिव कौंसिल ( अव के-स्वीय असे-