यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

भूलाभाई देसाई २५५ गये हैं, तब से हिन्दू महासभा के आन्दोलन में एक नवीन चेतना, जीवन और जागृति आगई है । हिन्दू महासभा हिन्दुओं को एक राष्ट्र मानती है तथा मुसलमानो को अल्य-सख्यक जाति । वह अल्प-सख्यको के धर्म, संस्कृति, भाषा अादि की सुरक्षा के लिये आवश्यक सरक्षण की पोपक और मुसलमानो की विद्वेषात्मक पाकिस्तान योजना का घोर विरोध करती हैं । | भारतीय हिन्दू लीग-पाकिस्तान की योजना का ज़ोरदार विरोध करने के उद्देश्य से, सन् १९४० मे, लखनऊ में श्री ( अब नरेवल् ) एम० एस० अणे के सभापतित्त्व मे, अ० भा० हिन्दू लीग की स्थापना कीगई । प्रत्येक प्रात मे इसकी शाखाएँ बताई जाती हैं । मि० अणे सन् १९.४१ में सरकार में चले गये और अब यह संस्था नाममात्र की रहगई है ।। भूमध्यसागर-यह योरप के दक्षिण तथा अफ्रीका के मध्य में है । इस के उत्तरी तट पर स्पेन, फ्रांस, इटली, अलवानिया, यूनान, तुर्की श्रादि देश हैं । इसके दक्षिणी तट पर मिस्र, लीबिया, ट्य निशिया, अलजीरिया तथा मरको हैं। इसका पश्चिमी द्वार जिब्राल्टर तथा पूर्वी मार्ग स्वेज़ नहर है। भूमध्य सागर पर आधिपत्य जमाने के लिये युद्ध के प्रारम्भिक-काल से ही इस सागर के तट पर धुरी और मित्र-राष्ट्रों में युद्ध हो रहा है । | भूलाभाई जे० देसाई-बम्बई के विख्यात वकील और केन्द्रीय असेम्बलीकांग्रेस-दल के नेता; जन्म १८७७ ई; कांग्रेस कार्य-समिति के सदस्य रहे; गुजरात कालिज अहमदाबाद में दो साल (१९१७-१९१६) तक प्रोफेसर थे | होम रूल लीग आन्दोलन में भाग लिया । सन् १९२६ में बम्बई सरकार के एडयोकेट-जनरल हुए । सन् १९२८ मे वारदोली के किसानों की शोर से नफील्ः कमिटी के समक्ष वकालत की । गाँधी-इरविन समझौते के बाद पुनः बारदानी जनि-मिटी के सामने पेश हुए । सविनय अवज्ञा आन्दोलन-काल , नन् १६३० न, स्वदेशी सभा संगठित की । सविनय अवज्ञा आन्दोलन में १ सान की कैद तथा १०,०००) जुर्माने की सजा भिली । अनेक बार ये ना दि । काग्रेस पार्लमेंटरी बोर्ड की स्थापना में विशेद प्रयत्न किया ः ६ *नी तथा प्रान्तीय अध्यक्ष रे । सन् १९३४ में केन्द्रीय र ने द है । सितम्बर १६४० में जब युः-र तथा यु-ट पर नव में