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२५३ भारतीय सेना मेण्डल की स्थापना की तजवीज़ कीगई । फलतः १ जनवरी १९२७ को फेडरेशन आफ इंडियन चेम्बर्स आफ कामर्स की स्थापना कीगई । आयात तथा निर्यात व्यापार की उन्नति करना इस संस्था का मुख्य उद्देश्य है । इस अखिल भारतवर्षीय व्यापारी-सघ के दो प्रकार के सदस्य हैं : ( १ ) प्रान्तीय चेम्बर्स आफ कामर्स, तथा ( २ ) व्यापारी समितियॉ । इस संस्था के सदस्य अन्तर्राष्ट्रीय संस्था तथा परिषदो में प्रतिनिधि के रूप में भाग लेते हैं । यह भारत के व्यापारियो की सर्वोच्च प्रतिनिधि-सस्था है। भारतीय सेना-भारत की सेना का वर्गीकरण इस प्रकार हैः-( १ ) ब्रिटिश सेना, (२) भारतीय सेना, (३) सहायक सेना, (४) भारतीय देशरक्षिणी ( टैरीटोरियल ) सेना, (५) भारतीय रियासतो की सेना । वर्तमान युद्ध के आरम्भ से पूर्व भारत के सेना-विभाग का संचालन इडिया आफ़िस का युद्ध-मत्री (मिलिटरी सेक्रेटरी) करता है। भारत में एक प्रधान सेनाध्यक्ष होता है । वह समस्त सेनाओं का संचालन करता है । यहाँ सेना तीन प्रकार की हैः-थल-सेना, जल-सेना तथा हवाई-सेना । सन् १९३७ में सेना के अधिकारी तथा सैनिक इस प्रकार थे—( १ ) भारतीय थल-सेनाः—ब्रिटिश अफ़सर (किंग्स कमीशन) ६,५७०; भारतीय अफसर ( भारतीय कमीशन ) १६१; ब्रिटिश सैनिक ५५,१८७ ; भारतीय अफ़सर ( वाइसराय कमीशन) ४,२२५; भारतीय सैनिक १,३६,०७४; क्लर्क आदि १०,०११; नौकर ३२,८३६ तथा भारतीय सुरक्षित सैनिक ४१,८८७ । (२) हवाई-सेनाः ब्रिटिश अफसर २६०; चालक १,८८७ ; देशी अफ़सर और सैनिक ६४५;सामान्य नौकर ५३० । ( ३ ) जल-सेनाः-मुख्य अफ़सर ३, अन्य अफ़सर १५, सी ट्रान्सपोर्टस्टाफ ३, सिविल गज़टेड अफसर ४, कप्तान ८, कमांडर १८, लेफ्टिनेन्ट कमाण्डर ५०, इंजीनियर कप्तान १३, इं० लेफ्टिनेट कमाण्डर ३७, नाविक १७, अन्य २७, जहाज़ १६ । युद्ध के आरम्भ होने के बाद से भारत मे थल-सेना, जल-सेना तथा नभ-सेना, तीनो के विस्तार में भारी प्रयत्न किया गया और किया जा रहा है । कमीशन-याफ्ता भारतीय अफ़सर अब सेना में अधिक संख्या मे लिये जा रहे हैं । लाखो भारतीय सैनिक इस समय समुद्र पार, बरतानवी साम्राज्य के अन्य भागो में, लड़ रहे हैं ।