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अफ़ग़ानिस्तान
 


अपेक्षा विकासवाद तथा सुधारवाद मे विश्वास करता है। सामाजिक-सुधार के कार्यो मे भी इस दल के सदस्य भाग लेते रहे है। यह दल समाजवाद का विरोधी है और व्यक्तिवाद पर जोर देता है। राष्ट्रीयता मे अति उग्र है और साम्राज्यवाद का समर्थक है। इसके आर्थिक कार्यक्रम में ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत देशो के लिए व्यापारिक सुविधाएँ भी शामिल हैं। यह दल साधारण तटकर के पक्ष मे भी है।


अफगानिस्तान—यह देश भारत की पश्चिमोत्तर सीमा पर है। क्षेत्रफल २,५०,००० वर्गमील तथा जनसंख्या १,००,००,००० है। इसकी राजधानी काबुल है। इसका शासक मुहम्मद जहीर शाह है। यह पहाड़ी प्रदेश है—बहुत ही पिछड़ा हुआ तथा औद्योगिक दृष्टि से अविकसित। इसकी स्वाधीनता की रक्षा का मुख्य श्रेय इस देश की भौगोलिक स्थिति तथा अफगानों की युद्ध-प्रियता को है। यह सोवियट रूस और भारत के बीच मे तटस्थ राज्य है। इस देश मे मुख्यतः तीन भाषाएँ प्रचलित हैं—फारसी, पश्तो और तुर्की। सन् १९१९ मे अमीर हबीबुल्ला का, जो उदार विचार का और अँगरेजो का समर्थक शासक था, विरोधियो द्वारा क़त्ल कर दिया गया। नसरुल्ला को वह लोग अमीर बनाना चाहते थे। परन्तु अमीर हबीबुल्ला के पुत्र अमानुल्ला ने ऐसा करने मे बाधा उपस्थित की। उसने नसरुल्ला को क़ैद करलिया और स्वयं सिंहासन पर बैठ गया। उसने सबसे पहले अंगरेज़ो के विरुद्ध लड़ाई छेड़ दी। अफगान-सेना ख़ैबर दर्रे मे आगई और भारत के सीमा-प्रान्त के विद्रोही कबीलो को सहायता देनी शुरू करदी। अफगान बड़ी जल्दी पराजित हो गए और विराम-संधि हो गई। सन् १९२१ मे ब्रिटेन तथा सोवियट रूस से उसने संधि कर ली। इसके बाद अमीर अमानुल्ला ने अपने देश मे अनेक सुधार किये। सन् १९२६ मे अमीर पद छोड़कर उसने बादशाह की उपाधि ग्रहण की। सन् १९२७-२८ मे उसने यूरोप के देशो का भ्रमण किया और उन देशों की आश्चर्य-जनक प्रगति से प्रभावित होकर अपने देश में भी आधुनिकता लाने का आयोजन किया। उसने इस कार्य में तुर्की के त्राता कमाल पाशा का अनुकरण किया। यूरोप की वेशभूषा, आभूषण तथा रहन-सहन का प्रचलन किया, पर्दे की रिवाज बन्द करदी तथा एकपत्नी-व्रत