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अन्तर्राष्ट्रीय संघ
 


स्वीकृत सिफारिशे, अपने राज्य की धारा-सभा में पेश करनी चाहिए और १८ महीने की अवधि के भीतर ही ऐसा होजाना चाहिए। कार्य-कारिणी सभा अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय की व्यवस्था करती है तथा उसके डाइरेक्टर की नियुक्ति करती है। सहायक संस्थाओं में अनेक समितियाॅ है जो विविध प्रश्नो की जॉच करती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय मजदूरों के संबंध में समस्त देशो से सूचनाएँ संग्रह करता है और उनका वितरण करता है। वह जॉच का भी काम करता है। कार्यालय में ४०० कर्मचारी हैं जो ३७ राष्ट्रो के नागरिक हैं। इस समय अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ के ६० राज्य सदस्य हैं। सयुक्त राज्य अमरीका भी इसका सदस्य है। जर्मनी, इटली और जापान ने उससे सवव-त्याग कर दिया है। सघ ने अब तक ६३ निर्णय किये हैं, जिनका सवध मजदूरो की स्थिति, स्वास्थ्य, बीमा, पेशन, काम के घण्टो तथा पारिश्रमिक आदि से है।


अन्तर्राष्ट्रीय संघ--समाजवाद के आचार्य कार्ल मार्क्स ने समाजवादी विचारधारा के व्यापक प्रचार और प्रसार के लिए सन् १८६४ मे प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय-सघ की स्थापना की। सन् १८७१ ने पेरिस की पचायत (कम्यून) की घटना हुई।

यह सबसे प्रथम समाजवादी विद्रोह था। इससे यूरोप की सरकारे भयभीत होगई। इस सघ के प्रति सरकारो का रुख़ कड़ा होगया। इसलिए कार्ल मार्क्स ने सन् १८७२ मे इसका प्रधान कार्यालय अमरीका के मुख्य नगर न्यूयार्क में भेज दिया। अमरीका जाने पर इसका प्रभाव यूरोप से कम होगया और धीरे-धीरे उसका अन्त होगया। सन् १८८९ मे द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ की स्थापना की गई। यूरोप में इस समय मजदूर-सघो और श्रमजीवी दलो का बल और साधन पहले से अधिक बढ़ गए थे। मार्क्स के जमाने से अब उनकी इज्ज़त भी अधिक बढ़ गई थी। यह सघ २५ वर्ष तक चला। फिर जब महायुद्ध आया तब इसका अन्त हो गया। इसके कार्यकर्त्ता और संचालक अपने-अपने देशो मे उच्च पदो पर नियुक्त होगये। पद-ग्रहण करते ही, यह मज़दूरो के हिमायती, ठंडे पड गये और मजदूर आन्दोलन को कुचलने में भी इन्हे संकोच न हुआ। युद्ध के बाद जर्मनी के समाजवादी-प्रजातत्र दल के लोग प्रजातत्र-राज्य के राष्ट्रपति