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पन्त
 


बनाई गई। इन योजनाओं से रूस के उद्योगों में जो उन्नति हुई है, वह निम्नलिखित अको के तुलनात्मक अध्ययन से स्पष्ट है:---

(ऑकडे दस लाख गुने टनों में)

सन्१९२७ सन्१९३८ सन्१९२७ सन्१९३८
कोयला३५ १४० तेल११ ३०
कच्चा लोहा३ १५ सीमट११ ६६
ईसपात३ १८ मोटर० १,७०,०००(Units)

इन योजनाओं द्वारा खेती को सामूहिक और कृषि-उत्पादन को यान्त्रिक बनाया गया। फलतः करोडो देहाती जनता नये धन्धो को करने की क्षमता उत्पन्न होगई। इसीके कारण सन् १९१३ में इनमे जो औद्योगिक पैदावार थी उससे सन् १९३८ मे ९ गुनी अधिक बढ़ गई, और इस अवधि में कृषि में ११८ प्रतिशत वृद्धि हुई तथा पशुओं मे, सन् १९१६ की अपेक्षा, १०४ प्रतिशत। इन योजनाओं का उद्देश्य है देश को इतना स्वाश्रयी बना देना कि बहुत कम मात्रा में विदेशों से माल ख़रीदना पडे।

पनडुब्बी (सबमैरीन)--यह एक प्रकार का युद्ध-पोत है, जो समुद्र पर चलता है और शत्रु के जलयानो पर, टारपीडो के द्वारा, हमला करता हैं। यह अपनी इच्छा से समुद्र मे जलमग्न होजाता है और शत्रु के जलयान के निकट जाकर पानी के ऊपर आजाता


है। पनडुब्बी पानी के ऊपर तेल के इजिन से और पानी के भीतर बिजली की मोटरों से चलती है। समुद्र मे आने-जानेवाले जहाजो को पनडुब्बियो से बड़ा खतरा रहता है।

पन्त--पंडित गोविन्द वल्लभ--काग्रेसी नेता। बी० ए०, एलएल० बी०। सन् १९३४ मे केन्द्रीय धारासभा के सदस्य चुने गये। केन्द्रीय धारासभा की काग्रेस-पार्टी के उप-नेता रहे। राजस्व तथा अर्थशास्त्र हैं। सन् १९३७ मे जब काग्रेस ने