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दक्षिण-अफ्रीकी यूनियन
 

यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया कि इतिहास, मानव-विचारों के विकास में, द्वन्द्वात्मक पद्धतिकी ही प्रतिच्छाया है। कार्ल मार्क्स ने हैगल की द्वन्द्वात्मक प्रणाली को तो अपना लिया, परन्तु उसने यह स्वीकार नहीं किया कि यह द्वन्द्वात्मक प्रणाली विचारों के विकास कि प्रतिच्छाया है। इसके विपरीत मार्क्स ने यह बतलाया कि विचार ही पदार्थों की वास्तविकता की प्रतिच्छाया है। इस प्रकार मानव-समाज की प्रत्येक व्यवस्था में, भौतिक शक्तियों की प्रेरणा से, द्वन्द्वात्मक प्रणाली का विकास होता है जिससे वह स्वयं अपने में विरोध को जन्म देती है। इस विचार-प्रणाली के अनुसार सर्वहारा (प्रोलेटरियन) वर्ग का विकास पूॅजीवादी समाज का ही फल है। इन दोनों में द्वन्द्व-भाव है--विपरीतता है, विरोधाभास है। परन्तु सर्वहारा-वर्ग का जन्म पूॅजीवादी समाज से हुआ है।



दक्षिण-अफ्रीकी यूनियन--ब्रिटिश-राष्ट्र-समूह का एक सदस्य ; क्षेत्र॰ ४,७२,००० वर्गमील, जन-संख्या ९६,००,०००। इसमें २०,००,००० योरपियन तथा शेष अफ्रीक़ी हैं। योरपियन जनता में ५८ फीसदी वोअर है, जो डच भाषा बोलते हैं, शेष अँगरेजी भाषा का प्रयोग करते हैं। केप टाउन में धारा-सभा-भवन है। प्रिटोरिया राजधानी है। सन् १८९९-१९०२ की दक्षिण अफ़्रीकी की लड़ाई में ब्रिटिश सरकार ने विजित वोअर-प्रजातंत्रों में स्वराज्य को स्थापना तथा दक्षिण अफ्रीका में सघ-राज्य स्थापित करने का प्रयत्न किया। फलतः १९१० में केप-प्रांत, नेटाल, ट्रान्सवाल और औरेज फ्रीस्टेट को मिलाकर दक्षिण अफ्रीकी यूनियन का निर्माण किया गया। यह एक प्रकार का संघ राज्य है। प्रत्येक उपर्युक्त प्रान्त को स्वायत्त शासन प्राप्त है। जनरल वोथा और फील्ड मार्शल स्मट्स ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत स्वराज्य से सन्तुष्ट है। अन्य राष्ट्रवादी, हर्टजोग के नेतृत्व में, स्वधीन प्रजातत्र चाहते हैं। विगत विश्व-युद्ध में यूनियन ने योराप में कोई सेना नहीं भेजी, सिर्फ एक ब्रिगेड भेजा था। युद्ध के बाद राष्ट्रवादियों की शक्ति बढ़ गई। विगत विश्व-युद्ध से पहले राष्ट्रवादियों के धारासभा में ५ प्रतिनिधि थे। सन् १९२४ में ६३ हो गए । मजदूर-दल से समझोता करने के बाद धारासभा में राष्ट्रवादियों का बहुमत हो गया और जनरल हर्टजोग प्रधानमंत्री बना। इस काल में सरकार ने ब्रिटेन की वैदेशिक नीति से मतभेद प्रकट किया।