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तेल
 

राष्ट्र 'योरप का रुग्ण मानव' (Sick man of Europe) कहकर उसकी भर्त्सना किया करते थे। यह कमाल का ही कमाल है जो उसने आज के तुर्की को संसार के सबल और समृद्ध राष्ट्रों की कोटि में खड़ा कर दिया है।



तृतीय राइखजर्मनी का वर्तमान नात्सी शासन-काल तृतीय राइख या साम्राज्य कहलाता है। मध्ययुगीन जर्मन-साम्राज्य प्रथम साम्राज्य था। सन् १८७१ से १९१८ तक द्वितीय राइख रहा। इसके बाद हिटलर के उदय, सन् १९३३ से, वर्तमान शासन तृतीय राइख है। १९१९ से १९३३ के बीच का जर्मन-प्रजातन्त्र मध्यवर्ती साम्राज्य कहा जाता है।



तेलसन् १९३९ में संसार में प्रायः २९,००,००,००० मैट्रिक टन (मैट्रिक-टन=लगभग २००५ पौंड) तेल निकाला गया। तेल पैदा करनेवाले प्रमुख देश इस प्रकार हैः—(१९३९ की निकासी १००० गुने मैट्रिक टनों में):—संयुक्त-राज्य अमरीका १,७५,०००, सोवियत रूस ३१,०००, वेनेज्युला २९,०००, ईरान ११,०००, डच इन्डीज ७,४००, रूमानिया ६,०००, मैक्सिको ५,०००, इराक़ (भोसल) ४,३००, कोलम्बिया ३,०००, ट्रिनीडाड २,५००, अरजेंटाइना २,४०० और पेरू २,१००। मिस्र, ब्रह्मा, पोलैण्ड तथा जर्मनी में भी तेल निकलता है, पर कम। तेल की उपयोगिता पिछले कुछ दशकों से बहुत बढ़ गई है, क्योकि लड़ाकू वायुयानों, बरबरदारी की मोटरों, यान्त्रिक सेनाओं, बख्तरदार गाड़ियों तथा युद्ध-पोतो में तेल का प्रयोग बहुतायत से किया जाने लगा है। यही कारण है कि आज के साम्राज्यवादी राष्ट्रों की दृष्टि उन देशों पर लगी है, जिनमे तेल अधिक पैदा होता है। तेल का व्यवसाय करनेवाली प्रसिद्ध कम्पनियाँ'—(१) रॉयल डच शैल (इन कम्पनियों पर अँगरेज़ों तथा डचो का नियंत्रण है), (२) स्टैंडर्ड आयल कम्पनियाँ (संयुक्त राज्य अमरीका)। इन दोनों कम्पनियों में खूब व्यापाराना प्रतियोगिता रहती थी, जिसका असर इन देशों की राजनीति पर भी पड़ता था। किन्तु सम्पत्ति यह होड़ मित्रता में बदल गई है। (३) ऐग्लो ईरानियन कम्पनी (ब्रिटिश सरकार की) और (४) टैक्सस कारपोरेशन (अमरीका)। जर्मनी में तेल नही है। इसलिए उसने कोयले से तेल निकालना शुरू किया है। सन् १९४० में करीब