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चियांग् काई-शेक
 

पारस्परिक संबंध, उनकी ऐतिहासिक परम्परा के आधार पर, निर्धारित किये जायॅ। उनकी सुरक्षा के लिये अन्तर्राष्ट्रीय निश्चित आश्वासन दिया जाय।

( १२ ) तुर्किस्तान के गै़र-तुर्की प्रदेशों में स्व-शासन का विकास किया जाय। दरेदानियाल मे होकर स्वतंत्र मार्ग हो।

( १३ ) स्वतंत्र पोलिश राज्य स्थापित किया जाय और उसकी सीमा समुद्र-तट तक हो। उसकी रक्षा के लिये अन्तर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी रहे।

( १४ ) समस्त राष्ट्र की एक सभा स्थापित की जाय जो छोटे-बड़े सभी राज्यों की सुरक्षा के लिये दायी हो।

इनमे सिद्धान्त-संख्या १, ३, ४, ५ और ६ को, सन्धि करते समय, अमल में नही लाया गया। शेष सिद्धान्तों का पालन भी आंशिक किया गया।


चातुर्वर्षीय-योजना--सोवियत रूस की पंच-वर्षीय योजना का अनुकरण कर जर्मनी ने, अपने आर्थिक विकास तथा औद्योगिक उन्नति के लिये, एक चातुर्वर्षीय योजना, सन् १९३३ में, कोयला, लोहा, तेल, आदि व्यवसायो की उन्नति के लिये बनाई। इस योजना में भवन-निर्माण, सड़क-निर्माण आदि शामिल थे। वास्तव में यह योजना स्थगित कर दीगई और शस्त्रीकरण ज़ोरों के साथ आरम्भ किया गया, जिससे जर्मनी की बेकारी में भी बहुत कमी होगई। सितम्बर १९३६ में हिटलर ने दूसरी चातुर्वर्षीय योजना की घोषणा की। यह योजना सन् १९३७ से १९४० तक के लिये बनाई गई थी। इस योजना में उद्योगों के विकास पर ज्यादा ज़ोर दिया गया था। हिटलर जर्मनी को औद्योगिक दृष्टि से स्वाश्रयी बनाना चाहता था। यह योजना पूरी भी न होपायी थी कि यूरोप में जर्मनी ने युद्ध शुरू कर दिया।


चियांग् काई-शेक--चीन के प्रधान सेना-नायक तथा राष्ट्रीय नेता। चियांग् काई-शेक का, चेकियांग् में, सन् १८८८ मे, जन्म हुआ। इनके पिता शराब के व्यापारी थे। जब इनकी आयु २० वर्ष की थी, तब उत्तरी चीन की एक मिलिटरी ऐकेडेमी (सैनिक शिक्षण-संस्था) में भरती हो गये। इनकी सैनिक शिक्षा जापान में समाप्त हुई, जहॉ डा० सन यात-सेन से इनकी भेंट हो गई। तबसे इन्होंने क्रान्तिकारी-दल मे प्रवेश किया तथा को मिन तांग (चीनी प्रमुख राष्ट्रीय संस्था) के सदस्य बन गये। सन् १९११, १९१२ और