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चतुर्दश सिद्धान्त
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का प्रस्ताव भी आचुका है, पर आपके दल की विजय होती रही है। चर्चिल एक श्रेष्ठ और प्रभावशाली वक्ता ही नही एक उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ और लेखक भी हैं। भारत के आप विकट विरोधियों में हैं। सन् १९३१ मे जब गान्धी-इर्विन समझौता हो रहा था तब आप बहुत बिगड़े थे, और कहा था कि अफसोस है कि एक अधनंगा फ़क़ीर वाइसराय के महल पर चढ़ता है।


चतुर्दश सिद्धान्त--संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने अमरीका की कांग्रेस के समक्ष, ८ जनवरी १९१८ को, अपना ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसमे उन १४ सिद्धान्तो का उल्लेख किया जिनके आधार पर जर्मनी के साथ मित्र-राष्ट्र सधि कर सकते हैं।

वे चौदह सिद्धान्त निम्न प्रकार हैं:--

( १ ) संधि प्रकाश्य रूप मे हो। गुप्त रूप से कोई बात तय न की जाय।

( २ ) समुद्रो पर आवागमन की स्वाधीनता सबको रहे।

( ३ ) आर्थिक प्रतिबंधो का परित्याग किया जाय।

( ४ ) निःशस्त्रीकरण के सिद्धान्त मे विश्वास। शस्त्रीकरण इतना कम कर दिया जाय कि प्रत्येक राष्ट्र के पास केवल उतनी ही सेना रह जाय जितनी उसकी रक्षा के लिये आवश्यक है।

( ५ ) औपनिवेशिक दावो का निष्पक्ष रीति से निर्णय हो।

( ६ ) रूसी अधिकृत-प्रदेश रूस को वापस दे दिया जाय तथा उसको स्वभाग्य-निर्णय का पूरा अधिकार रहे।

( ७ ) वेलजियम से जर्मन-सेनाएँ वापस कर ली जाये तथा उसे पूर्वावस्था मे कर दिया जाय।

( ८ ) जिन फ्रान्सीसी प्रदेशो पर जर्मनों का अधिकार है, वह तथा अल्सेस लोरेन प्रदेश फ्रान्स को दे दिये जायॅ।

( ६ ) इटली की सीमाएँ स्पष्ट रूप से निर्धारित कर दीजायॅ।

( १० ) आस्ट्रिया-हगरी की प्रजा को स्व-शासन-विकास का पूरा सुयोग प्राप्त हो।

( ११ ) रूमानिया, सर्बिया, मोन्टीनिग्रो से जर्मन आधिपत्य वापस किया जाय। सर्विया की समुद्री-तट तक पहुँच स्वीकार की जाय। बल्कान राज्यों के