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आज ये सब नाम अनाम हो गऐ हैं। उनके नामों को स्मरण करने की यह नाम-माला, गजधर से लेकर रामनामी तक की नाम-माला अधूरी ही है। सब जगह तालाब बनते थे और सब जगह उन्हें बनाने वाले लोग थे।
सैंकड़ों, हज़ारों तालाब शून्य में से प्रकट नहीं हुए थे। लेकिन उन्हे बनाने वाले लोग आज शून्य बना दिए गए हैं।
२८ आज भी खरे हैं तालाब