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सैंकड़ों हाथ मिट्टी काटते हैं। सैंकड़ों हाथ पाल पर मिट्टी डालते हैं। धीरे-धीरे पहला आसार पूरा होता है, एक स्तर उभर कर दिखता है। फिर उसकी दबाई शुरु होती है। दबाने का काम नंदी कर रहे हैं। चार नुकीले खुरों पर बैल का पूरा वज़न पड़ता है। पहला आसार पूरा हुआ तो उस पर मिट्टी की दूसरी तह डलनी शुरु होती है। हरेक आसार पर पानी सींचते हैं, बैल चलाते हैं। सैंकड़ों हाथ तत्परता से चलते रहते हैं, आसार बहुत धीरज के साथ धीरे-धीरे उठते जाते हैं।

अब तक जो कुदाल की एक अस्पष्ट रेखा थी, अब वह मिट्टी की पट्टी बन गई है। कहीं यह बिलकुल सीधी है तो कहीं यह बल खा

सिमट-सिमट जल भरहिं तलावा