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17. इसमें विवाद नहीं है कि हस्तांतरण पर स्टांप शुल्क का भुगतान उस बाजार मूल्य के अनुसार किया जाएगा, जो कि हस्तांतरण की तिथि को प्रचलित हो। वास्तव में, अपीलकर्ताओं ने स्वयं स्टाम्प अधिनियम की अनुसूची आईबी के अनुच्छेद 23 पर भरोसा किया है जो कि उत्तर प्रदेश राज्य के लिए प्रयोज्य है। उन्होंने सहायक कलेक्टर के समक्ष दायर लिखित प्रकथनों में उक्त प्रावधान पर अवलंब लिया है। उनके लिखित प्रकथनों के पैराग्राफ 2 से 4 निम्नवत हैं:

"2. बिक्री विलेख पर देय स्टाम्प शुल्क भारतीय स्टाम्प अधिनियम की अनुसूची I के अनुच्छेद 23 द्वारा शासित होता है। केंद्रीय अधिनियम, अनुच्छेद 23 में इस तरह के हस्तांतरण के प्रतिफल के मूल्य पर स्टाम्प शुल्क देय होता है जैसा कि विक्रय विलेख में निर्धारित किया गया हो। विक्रय विलेख में निहित प्रतिफल 1 लाख रुपये है और इसलिए, यदि बिक्री विलेख केवल केंद्रीय अधिनियम द्वारा शासित होता, तो उ.प्र. संशोधन के बिना स्टाम्प शुल्क 1 लाख रुपये की राशि पर देय होता।

3. हालांकि, उत्तर प्रदेश में प्रयोज्यता के संदर्भ में भारतीय स्टाम्प अधिनियम में उ.प्र. (स्टाम्प संशोधन अधिनियम 1952) द्वारा संशोधन किया गया है और अनुसूची IB के अनुच्छेद 23 उत्तर प्रदेश में यथा प्रयोज्य निम्नवत है:

"अनुच्छेद 23 हस्तांतरण (जैसा कि धारा 2 (10) द्वारा परिभाषित किया गया है) सं. 62 के तहत स्थानांतरण शुल्क या छूट न होने के कारण। जहां इस तरह के हस्तांतरण के प्रतिफल की राशि या मूल्य जैसा उसमें निर्धारित किया गया हो या संपत्ति का बाजार मूल्य जो कि ऐसे हस्तांतरण का विषय है, जो भी अधिक हो……"

4. इस प्रकार यह प्रावधान जो मौजूदा मामले पर लागू होता है, उपबंध करता है कि यदि अचल संपत्ति का बाजार मूल्य हस्तांतरण के विलेख में


उद्‌घोषणा
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