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15. विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आर.के. रायजादा ने राज्य की ओर से तर्क दिया है कि अपीलकर्ताओं द्वारा देय स्टाम्प शुल्क की गणना बिक्री विलेख के निष्पादन की तिथि पर बिक्री विलेख भूमि के प्रचलित बाजार मूल्य के अनुसार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिक्री के समझौते के तहत पक्षकारों द्वारा निर्धारित संपत्ति के मूल्य का बाजार मूल्य के निर्धारण के लिए कोई प्रासंगिकता नहीं है। विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि समझौता डिक्री में दिखाई गई प्रतिफल राशि की भी कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कोई किरायेदार एक अचल संपत्ति खरीदता है, वह संपत्ति का पूर्ण मालिक बन जाता है, और वह बिना किसी प्रभार्य के संपत्ति ले लेता है। विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि संपत्ति कर के निर्धारण के प्रयोजनों के लिए कर योग्य मूल्य का निर्धारण हमेशा अभिकल्पित किराए के आधार पर किया जाता है जो संपत्ति का मिल सकता है। उन्होंने कहा कि नगरपालिका कानूनों के तहत निर्धारित कर योग्य मूल्य स्टाम्प अधिनियम के प्रयोजनों के लिए बाजार मूल्य नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि सहायक कलेक्टर, अपीलीय प्राधिकारी और उच्च न्यायालय ने यह माना है कि अपीलकर्ता शेष स्टाम्प शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। उक्त आदेशों में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

16. जहां तक बाजार मूल्य के निर्धारण का संबंध है, अपीलकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत वरिष्ठ अधिवक्ता ने द कमिश्नर ऑफ वेल्थ टैक्स मैसूर, बैंगलोर बनाम वी.सी. रामचंद्रन[१] के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का अवलंब लिया है।


तर्कों पर विचार और हमारा दृष्टिकोण

 

  1. (1966) 60 ITR 103.


उद्‌घोषणा
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