पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१८२

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(१५१) ब्राह्मण में उनका उल्लेख मद्रों की भॉति ऐतिहासिक जातियों के रूप में हुआ है। इससे यह जान पड़ता है कि परवर्ती काल में इन लोगों का एक स्वतंत्र जाति के रूप में अस्तित्व नहीं रह गया था; और अपनी संपन्नता तथा वैभव आदि के कारण ये लोग कथा-कहानियोंवाले वर्ग में आ गए थे। और इस देश मे, जहाँ प्राय: इतिहास को जंगलीपन से पुराणों उन्नत है । इसके राजमार्ग हाथियों, घोड़ों, रथो और पैदल चलनेवालो से भरे हुए हैं और उनमे सुंदर पुरुष तथा रूपवती स्त्रियां विचरण करती हैं। ये राजमार्ग ब्राह्मणो, बड़े आदमियो, शिल्पियों, सेवकों सभी प्रकार और सभी अवस्थाओं के लोगो से भरे रहते हैं। सभी प्रकार के संप्रदायों के प्राचार्यों के स्वागत की ध्वनि से ये राजमार्ग गूंजते रहते हैं और सभी वर्गों के अच्छे अच्छे लोग इस नगर में आकर रहा करते हैं। यहाँ कुटुंबर की बनी हुई बनारसी मलमल तथा अनेक प्रकार के दूसरे वस्त्रो के विक्रय के लिये दूकानें हैं । बाजारों मे से अनेक प्रकार की मधुर सुगधिर्या श्राती हैं और उनमें सब प्रकार के फूल और सुगंधित द्रव्य अच्छी तरह सजाए हुए रखे रहते है। यहाँ ऐसे ऐसे रत्न बहुत अधिकता से है जिन्हें प्राप्त करने की लोग हृदय से कामना रखते हैं; और बाजार में सभी दिशाओं में वणिक लोग अपने अच्छे अच्छे विक्रय पदार्थों को भली भांति सजाकर रखते हैं। यह नगर धन तथा सोने, चाँदी, तांबे और पत्थर के बने हुए पात्रों तथा द्रव्यों आदि से इतना अधिक पूर्ण है कि यह आँखों को चौधिया देनेवाले खजानों की खानि ही है। यहां के भंडारो में अन्न तथा दूसरे मूल्यवान् पदार्थ, सब प्रकार की खाद्य और पेय सामग्री, शरबत और मिठाइयाँ बहुत अधिकता से भरी रहती हैं। वैभव में यह उत्तर कुरु का और कीर्ति में देवताओं की पुरी अलकनंदा का प्रतिद्वंद्वी है।"