पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१७९

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(१४८) है, सिंधु नदी के मुहाने के आस पास की नीची भूमि में रहा होगा। और अपाच्य लोग संभवतः उसके ठीक ऊपर के प्रदेशों में रहते होंगे। पर यजुर्वेद के समय में स्वाराज्य शासन-प्रणाली उत्तरीय भारत में प्रचलित थी । इस शासन- प्रणाली के संबंध में ऐतरेय ब्राह्मण के बाद का कोई उल्लेख अब तक नहीं मिला है। ६४. ऐतरेय ब्राह्मण में यह भी लिखा है कि उत्तर की कुछ जातियों में वैराज्य नाम की निज की शासन-प्रणाली प्रचलित है। इस उत्तर शब्द की व्याख्या वैराज्य शासन- में उसका स्थान निर्देश करते हुए कहा प्रणाली गया है-हिमालय के पार्श्व में । यजुर्वेद के समय में इस प्रकार की शासन-प्रणाली दक्षिण में प्रचलित थी। इससे यह पता चलता है कि इस प्रकार की शासन- प्रणाली केवल उत्तर में ही नहीं प्रचलित थी, बल्कि देश के अनेक भिन्न भिन्न भागों में भी उसका प्रचार था। इसका

- स्वराडस्युदीची दिङ मरुतस्ते देवा अधिपतयः इत्यादि । शुक्ल

यजुर्वेद; १५. १३. । एतेन च तृचेनतेन त यजुषैताभिश्च व्याहृतिमिवैराज्याय तस्मा- देतस्यामुदीच्यां दिशि ये के च परेण हिमवन्तं जनपदा उत्तरकुरव उत्तरमद्रा इति वैराज्यायवेतऽभिषिच्यन्ते । विराडित्येनानभिषिक्तानाचक्षत......ऐत- रेय ब्राह्मण ८. १४. "विराडसि दक्षिणा दिगु दास्ते देवा अधिपतयः" इत्यादि । यजुर्वेद १५.११. >