पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१७७

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(१४६ ) पूर्वी भारत को छोड़कर पश्चिमी भारत के राज्यों आदि का कहीं उल्लेख नहीं मिलता। अपनी विशिष्ट शासन-प्रणाली के कारण ही पश्चिमी भारत की एक जाति के लोग भोज कहलाते थे। संभवतः यह उन्हीं अवस्थाओं में से एक है, जिनमें अपनी राजनीतिक शासन-प्रणाली के कारण ही एक जाति का नामकरण हुआ है। अंधक-वृष्णी लोग गुजरात या कठियावाड़ के प्रायद्वीप में रहा करते थे। भोज या भोज्य शब्द अब तक आधुनिक भुज के रूप में वर्तमान है, जो काठियावाड़ एजेंसी (कच्छ) में एक देशी रिया- सत की राजधानी का नाम है। गुजरात इन भौज्य लोगों के सर्व प्राचीन निवास स्थानों में से एक है। परंतु इस बात की बहुत कुछ संभावना जान पड़ती है कि सत्वत् लोग दक्षिण की ओर बढ़कर फैल गए हों। ऐतरेय ब्राह्मण में उन्हें दक्षिण में ही स्थान दिया गया है। यदि ऐतरेय का कर्ता कुरु देश के उत्तर में था, जिसे वह मध्य देश में रखता है, तो फिर वह अपनी दृष्टि से गुजरात को भी दक्षिण में ही रख सकता है। ६६३. ऐतरेय ब्राह्मण में लिखा है कि पश्चिमी भारत में खाराज्य नाम की एक और विलक्षण स्वाराज्य शासन-प्रणाली शासन-प्रणाली प्रचलित थी। इस शासन-प्रणाली में जो शासक या सभापति होता था, वह एतस्यांप्रतीच्या दिशि ये के चनीच्यानांराजाना येऽपाच्यानां स्वाराज्या- यैव तेऽभिषिच्यन्ते स्वराडित्येनानभिषिक्तानाचक्षत...ऐतरेय ब्राह्मणा.१४,