पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५४०

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३५२ मतका मूल्य डॉ० जेमिसनसे, जो केप उपनिवेशके प्रगतिशील दल (प्रोग्रेसिव पार्टी) के नेता हैं, एक रंगदार जातिके मतदाताने पूछा था कि रंगके प्रश्नके बारेमें उनके दलकी नीति क्या है ? इसका उन्होंने नीचे लिखा लाक्षणिक उत्तर दिया था : (१) शिक्षा - जहाँ सम्भव हो अनिवार्य, और जहाँ जरूरत हो वहाँ निःशुल्क | यह नीति गोरे या काले सबके लिए लागू होती है, चाहे वे किसी भी प्रजातिके हों । (२) गोरे और रंगदार, सब सभ्य लोगोंको पूर्णतः समान अधिकार; केवल यहाँके आदिवासी लोगोंको हम असभ्य मानते हैं। पढ़ना-लिखना सभ्यताकी कसौटी नहीं है । (३) इस देशमें बसे हुए मलायी ब्रिटिश प्रजाजन हैं; इसलिए उनके खिलाफ हमारे दिलमें किसी प्रकारका दुर्भाव नहीं है । उनको भी वही अधिकार प्राप्त होंगे जो गोरोंको प्राप्त हैं । केपमें रंगदार जातियोंके मत इतने अधिक हैं कि वे चुनावोंमें मुकाबला कड़ा होनेपर परिणाम उलटा कर देनेकी क्षमता रखती हैं और वहाँ हर उम्मीदवार अपने प्रतिस्पर्धीको शिकस्त देनेकी भरसक कोशिश कर रहा है। हाल ही में जनरल बोथाने देशी मजदूरोंके प्रश्नके बारे में अपने मनकी बात साफ-साफ कह दी है। इसपर श्री मैरीमन उनको बहुत खरीखोटी सुना रहे हैं क्योंकि उनके दलको देशी लोगोंके मतोंकी जरूरत है। इसलिए देशी आदमियोंसे जबरदस्ती काम लेने तथा उनके कानूनोंसे वंचित करनेके अन्यायके विरुद्ध इन दिनों वे बहुत बढ़ बढ़कर भाषण दे रहे हैं; और जनरल बोथाके देशवासियोंकी स्थितिके साथ इन देशी लोगोंकी स्थितिकी तुलना भी कर रहे हैं । वे इस समय इस बातको आसानीसे भुला देते हैं कि गणराज्योंने इन देशी लोगोंकी कुछ भी भलाई नहीं की है, और उनकी भावनाओं और अधिकारोंकी तो वे और भी कम परवा करते हैं । इसलिए हम आशा करते हैं कि केपकी रंगदार जातियाँ अपनी शक्तिका समझदारीके साथ उपयोग करेंगी और मताधिकारका लाभ बराबर उठाती रहेंगी। ब्रिटिश संविधानमें न्याय प्राप्त करनेका यह एक बड़ा शक्तिशाली साधन है । यहाँ नेटालमें तो स्वर्गीय श्री एस्कम्बने - हमसे यह अधिकार छीन लिया है। इससे हमारी जो हानि हुई है, उसे हम ही जानते हैं । लोकतन्त्री राज्यमें मताधिकार-रहित समाज एक विसंगति और मूल्यवान शक्तिसे वंचित समाज होता है । [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, १-१०-१९०३ Gandhi Heritage Portal