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समर-यात्रा
 


लीला मिशन में डाक्टर थी। उसका बँगला भी पास ही था। वह चली गई, तो मि० खुरशेद ने जुगनू को बुलाया।

जुगन ने एक पुरजा उसको देकर कहा-मिसेज टंडन ने यह किताब मांगी है। मुझे आने में देर हो गई। मैं इस वक्त आपको कष्ट न देती; पर सबेरे ही वह मुझसे मांगेंगी। हज़ारों रुपये महीने की आमदनी है मिस साहब ; मगर एक-एक कौड़ी दांत से पकड़ती हैं। इनके द्वार पर भिखारी को भीख तक नहीं मिलती।

मि० खुरशेद ने पुरजा देखकर कहा--इस वक्त तो यह किताब नहीं मिल सकती, सुबह ले जाना। तुमसे कुछ बातें करनी हैं। बैठो, मैं अभी आती हूँ।

वह परदा उठाकर पीछे के कमरे में चली गई और वहां से कोई पंद्रह मिनट में एक सुन्दर रेशमी साड़ी पहने, इत्र में बसी हुई, मुँह पर पाउडर लगाये निकली। जुगनू ने उसे आँखे फाड़कर देखा। ओह ! यह श्रृंगार ! शायद इस समय वह लौंडा पानेवाला होगा; तभी यह तैयारियां हैं। नहीं सोने के समय क्वारियों के बनाव-सवार की क्या ज़रूरत। जुगन की नीति में स्त्रियों के श्रृंगार का केवल एक उद्देश्य था, पति को लुभाना। इसलिए सोहागिनों के सिवा, श्रृंगार और सभी के लिए वर्जित था। अभी खुरशेद कुरसी पर बैठने भी न पाई थी, कि जूतों का चरमर सुनाई दिया और एक क्षण में विलियम किंग ने कमरे में कदम रखा। उसकी आँखें चढ़ी हुई मालूम होती थीं और कपड़ों से शराब की गन्ध आ रही थी। उसने बेधड़क मिस खुरशेद को छाती से लगा लिया और बार-बार उसके कपोलों का चुम्बन लेने लगा।

मिस खुरशेद ने अपने को उसके कर-पाश से छुड़ाने की चेष्टा करके कहा--चलो हटो, शराब पीकर आये हो।

किंग ने उसे और चिमटाकर कहा--आज तुम्हें भी पिलाऊँगा प्रिये। तुमको पीना होगा। फिर हम दोनों लिपटकर सोयेंगे। नशे में प्रेम कितना सजीव हो जाता है, इसकी परीक्षा कर लो।

मिस खुरशेद ने इस तरह जुगनू की उपस्थिति का उसे संकेत किया कि