यह पृष्ठ प्रमाणित है।
क़ानूनी कुमार
[ २७
 


स्वीकार करते हैं ? मैं यह न समझती थी। मैं तो क़ानून को ईश्वर से ज्यादा 'सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान् समझती हूँ।

क़ानूनी--फिर तुमने मज़ाक शुरू किया।

मिसेज़--अच्छा लो कान पकड़ती हूँ। अब न हँतूंगी। मैंने उन बुरा- इयों को रोकने का एक नमूना सोचा है। उसका नाम होगा 'दम्पति-सुख- शान्ति-बिल' उसकी दो मुख्य धाराएं होंगी। और कानूनी बारीकियां तुम ठीक कर लेना। एक धारा होगी कि पुरुष अपनी श्रामदनी का आधा बिना कान-पूंछ हिलाये स्त्री को दे दे। अगर न दे, तो पांच साल कठिन कारा- वास और पांच महीने काल कोठरी। दूसरी धारा होगी पन्द्रह से पचास वर्ष तक के पुरुष घर के बाहर न निकलने पायें। अगर कोई निकले, तो दस साल कारावास और दस महीने काल कोठरी। बोलो मंजूर है ?

क़ानूनी--( गंभीर होकर ) असंभव ! तुम प्रकृति को पलट देना चाहती हो। कोई पुरुष घर में कैदी बनकर रहना स्वीकार न करेगा।

मिसेज़--वह करेगा और उसका बाप करेगा। पुलीस डंडे के ज़ोर से करायेगी। न करेगा तो चक्की पीसनी पड़ेगी। करेगा कैसे नहीं ? अपनी स्त्री को घर की मुर्गी समझना और दूसरी स्त्रियों के पीछे दौड़ना क्या खालाजी का घर है ? तुम अभी इस कानून को अस्वाभाविक समझते हो । मत घब- राओ। स्त्रियों का अधिकार होने दो। यह पहला कानन न बन जाये, तो कहना कोई कहता था। स्त्री एक-एक पैसे के लिए तरसे, और आप गुल- कर उड़ाये ! दिल्लगी है ! श्राधी आमदनी स्त्री को देनी पड़ेगी जिसका उससे कोई हिसाब न पूछा जा सकेगा।

क़ानूनी -- तुम मानव-समाज को मिट्टी का खिलौना समझती हो।

मिसेज -- कदापि नहीं। मैं यही समझती हूँ कि कानून सब कुछ कर सकता है। मनुष्य का स्वभाव भी बदल सकता है।

क़ानूनी -- कानून यह नहीं कर सकता।

मिसेज़ कर सकता है।

क़ानूनी नहीं कर सकता।

मिसेज़-कर सकता है। अगर वह ज़बरदस्ती लड़कों को स्कूल